जबलपुर

महिला को होटल बुलाकर कुलपति ने किया दुष्कर्म, दिया नौकरी का झांसा

एफआइआर दर्ज करने पर रोक हटी

जबलपुरJun 22, 2019 / 01:06 pm

Lalit kostha

Rape

जबलपुर। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डॉ. पीडी जुयाल के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में एफआईआर दर्ज करने पर लगी रोक मप्र हाईकोर्ट ने हटा दी। जस्टिस वीपीएस चौहान की सिंगल बेंच ने कहा कि शिकायतकर्ता महिला अपने वकील के जरिए कोर्ट के समक्ष उपस्थित हो चुकी है। लिहाजा एफआइआर दर्ज करने के जिला अदालत के आदेश पर रोक की अंतरिम राहत बरकरार रखना जरूरी नहीं है। महिला ने लगाया है नौकरी लगवाने का झांसा देकर अस्मत लूटने का आरोप।

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वेटरनरी विवि के कुलपति जुयाल की मुश्किलें बढ़ीं
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद दिए निर्देश

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रीवा के होटल में बुलाकर किया रेप
गढ़ा जबलपुर निवासी पीडि़त महिला द्वारा अदालत में दायर परिवाद के मुताबिक उसके पालतू कुत्ते की उचित इलाज नहीं मिलने के कारण मौत हो गई। इसी की शिकायत लेकर वह डॉक्टर जुयाल के पास गई। जुयाल ने उससे पहचान बढ़ा ली। नौकरी देने के बहाने विवि के गेस्ट हाउस में बुलाया। वहां डॉ जुयाल ने शिकायतकर्ता को नौकरी देने के बदले शारीरिक संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा। लेकिन युवती ने इनकार कर दिया। फिर उसे ऑफिस ?बुलाकर उसके साथ रेप किया। महिला का आरोप है कि 17 मार्च 2018 को कुलपति ने उसे रीवा ले जाकर वहां के एक होटल में उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए और अश्लील फोटो भी निकाले।

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कहीं नहीं हुई सुनवाई तो पहुंची कोर्ट
इसकी शिकायत उसने महिला थाने सहित अन्य संबंधित पुलिस अफसरों से की लेकिन कहीं उसकी सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद महिला ने जिला अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156( 3) के तहत परिवाद दायर किया। 29 दिसंबर 2018 को जेएमएफसी निधि जैन की अदालत ने सिविल लाइंस थाने को डॉ जुयाल के खिलाफ भादंवि की धारा 376(2), आईटी एक्ट की धारा 67, 67 ए के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।

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महिला के बयान हुए दर्ज
इस आदेश को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि आरोप मिथ्या है। इस पर हाईकोर्ट ने 8 फरवरी 2019 को शिकायतकर्ता महिला के हाजिर न होने तक डॉ जुयाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज न करने का अंतरिम निर्देश दिया। इस आदेश को बरकरार रखने के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता एचएच दुबे, अधिवक्ता अमन शर्मा व अनुभव दुबे ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता पुलिस के समक्ष बयान दर्ज करा चुकी है। लिहाजा एफआईआर दर्ज करने पर लगी रोक हटाई जाए। इसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

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