कर्मचारियों में खुशी की लहर
बुधवार को जैसे ही इंडेंट की जानकारी वीकल फैक्ट्री पहुंची तो कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। कर्मचारी ऑर्डर नहीं होने से संकट महसूस कर रहे थे। वीकल फैक्ट्री में सेना के लिए फिलहाल चार प्रकार के वाहनों का उत्पादन होता है। इनमें प्रमुख उत्पाद अशोक लीलैंड कंपनी का स्टालियन है। 27 लाख रुपए से ज्यादा की कीमत वाला यह वाहन सैनिकों के साथ युद्ध सामग्री के परिवहन में कारगर है। पांच से सात 7 टन वजनी इस वाहन का उत्पादन यहां वर्ष 2012 से हो रहा है। लेकिन फैक्ट्री को नॉन कोर ग्रुप में शामिल किए जाने के बाद इसके ऑर्डर मिलने पर संदेह जताया जा रहा था। लेकिन सेना ने करीब दो साल बाद इस वित्तीय वर्ष के लिए भी 15 सौ से ज्यादा वाहनों का ऑर्डर दिया है। इनकी कीमत 411 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है।
डेढ़ साल का मिला समय
सेना ने इतने वाहनों को डेढ़ साल में तैयार करने के लिए समय दिया है। क्योंकि टीओटी खत्म होने के साथ की कलपुर्जे सप्लाई करने वाली कंपनियां भी माल भेजना बंद कर देती हैं। अब फैक्ट्री प्रबंधन उन्हें अवगत कराएगा कि इसे आगे बढ़ा दिया गया है तो वह कलपुर्जे भेजना शुरू करेंगी। फैक्ट्री प्रबंधन ने स्टालियन की तरह एलपीटीए वाहन के उत्पादन के लिए ऑर्डर के लिए रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा है। माना जा रहा है कि फैक्ट्री को 2 हजार वाहनों का इंडेंट ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) से जारी हो सकता है।
इस सम्बंध में वीकल फैक्ट्री के जनसम्पर्क अधिकारी एके राय नेबताया कि फैक्ट्री को 15 से अधिक स्टालियन वाहनों का लक्ष्य मिला है। इन वाहनों का समय सीमा में उत्पादन हो सके इसके लिए अभी से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।