अनूठी है परंपरा
शारदा चौक स्थित मंदिर के गेट से करीब एक किमी दूर 200 फीट ऊंचाई स्थित मंदिर में भक्तों के पहुंचने से पूरी पहाड़ी भक्तिमय नजर आने लगी। कोई चुनरी अर्पित करने पहुंचा तो कोई माता की झांकी सजाया था। बैंड दलों की धुन पर शेर नृत्य के साथ युवा भी थिरक रहे थे। झंडा चढ़ाने की अनुठी परम्परा में सड़क पर भक्ति का विहंगम दृश्य था। वाहनों का प्रवेश रोग दिया गया था लेकिन, मार्ग पर पैदल चढऩा भी मुश्किल था। जाने और आने वालों के बीच झंडा लिए हुए भक्ति उत्साह और भक्ति की उमंग में पहाड़ी चढ़ रहे थे। मंदिर में दर्शन, आरती के लिए लम्बी कतारे थी। सीढिय़ों से होकर बांस और झंडे को लेकर चढ़े भक्त माता के दरबार में झंडे अर्पित करने के बाद लहराने के लिए परिसर में खड़े किए। वहीं मंदिर मार्ग पर बर्फानी बाबा के रूप में बनाए गए बर्फ के शिवलिंग का पूजन अर्चन भी किया गया।
सड़कों पर गूंजे माता के जयकारे
मंदिर मार्ग पर लगे सावन के झूलों का लोगों ने आनंद लिया तो दुकानों में खरीदारी भी की। पहाड़ी की चढ़ाई कर छोटे-छोटे बच्चों को लेकर भी लोग दर्शन करने पहुंचे। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से झंडा लिए हुए युवाओं की टोली निकली तो माता रानी के जयकारे गूंजे।
60 बड़े झंडे, छोटे अनगिनत
गेट के रेकॉर्ड के अनुसार सोमवार शाम 5 बजे तक शारदा माता मंदिर में 60 से अधिक बड़े झंडे चढ़ाए जा चुके थे। जबकि, चुनरी और छोटे झंडे चढ़ाने वाले अनगिनत लोग थे। हर समिति उत्सुकता के साथ मंदिर की ओर बढ़ रही थी। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने जगह जगह भंडारे के प्रसाद वितरित किए। उधर, नागपुर रोड पर यातायात व्यवस्था बेहतर बनाने में पुलिस को पसीना आया। ध्वजा यात्राओं के कारण यहां सड़क पर पैर रखने की जगह नहीं बची थी। कई जगह तो पुलिस ने मार्ग को डायवर्ट करके व्यवस्था बनाने का प्रयास किया।