राजा की कुलदेवी हैं – पुजारी रामकिशोर दुबे के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी के आसपास राजा कर्णदेव ने कराया था। त्रिपुर सुंदरी को उनकी कुल देवी माना जाता है। राजा कर्ण के बारे में यह भी लोक प्रचलित है कि वे बहुत बड़े दानी थे। जब उनका खजाना खाली हो गया तो उन्हें माता ने चमत्कारिक रूप से सोना-चांदी दिया था। मंदिर का निर्माण राजा कर्णदेव ने ही कराया था।
त्रिपुर सुंदरी के नाम से पड़ा त्रिपुर तीर्थ – मंदिर के सेवक शिव पटेल ने बताया कि मां त्रिपुर सुंदरी के कारण ही जबलपुर त्रिपुर तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मंदिर के गर्भगृह में माता के तीन रूपों वाली एक प्रतिमा है। प्रतिमा की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि प्रतिमा स्वयं धरती से प्रकट हुई है। प्रतिमा का केवल धड़ बाहर है, शेष शरीर धरती में समाया हुआ है। महाकाली, महालक्ष्मी और महा सरस्वती की संयुक्त प्रतिमा को ही त्रिपुर सुंदरी के नाम से जाना और पूजा जाता है।