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जबलपुर

उत्तरायण का स्ट्रांग वैज्ञानिक पहलू, पृथ्वी पर सीधी होंगी सूर्य की किरणें

उत्तरायण का मतलब है उत्तर की ओर चलना, क्योंकि इस दिन से सूर्य दक्षिण की सीमा को समाप्त करके उत्तर की ओर बढऩे लगता है।

जबलपुरJan 14, 2017 / 11:01 am

Abha Sen

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जबलपुर। वैदिक परम्पराओं में उत्तरायण यानी मकर संक्रांति का दिन काफी शुभ माना जाता है। उत्तरायण का मतलब है उत्तर की ओर चलना, क्योंकि इस दिन से सूर्य दक्षिण की सीमा को समाप्त करके उत्तर की ओर बढऩे लगता है। इसे जहां मकर संक्रांति के नाम से जानकर शुभ कार्यों को किया जाता है, वहीं वैज्ञानिक पहलू में भी उत्तरायण का बड़ा महत्व है। 

उत्तरायण के पहले सूर्य दक्षिण की सीमा की ओर बढ़ता जाता है, जिसके कारण ठंड में इजाफा होता है, ठीक उसी तरह जब सूर्य दक्षिण की सीमा को समाप्त करके उत्तर की ओर बढ़ता है तो ठंड कम होने लगती है। स्पष्ट शब्दों से जाने तो उत्तर की सीमा में सूर्य के प्रवेश करने के साथ ही बड़े दिन की शुरुआत हो जाती है। ये अयन 6-6 महीनों के अंतर में होता है। 



शहर से गुजरती है कर्क रेखा 
सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण और कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणयान कहलाता है। उत्तरायण में दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। कर्क रेखा की ओर बढ़ता हुआ सूर्य शहर को भी प्रभावित करता है। क्योंकि कर्क रेखा मप्र के 14 जिलों में से जबलपुर से भी होकर गुजरती है। एेसे में मौसम में गरमाहट भी यहां अधिक पता चलती है, वहीं ठंड के दौरान भी अधिक असर इसलिए ही होता है। 


उत्तरायण का वैज्ञानिक पहलू
महाकोशल विज्ञान परिषद् सचिव डॉ. संजय अवस्थी ने बताया कि उत्तरायण का वैज्ञानिक पहलू काफी स्ट्रॉन्ग है। उत्तर की सीमा में सूर्य दाखिल होते ही प्रकाश को बढ़ा देता है। इस दौरान पृथ्वी पर सूर्य की किरणें भी सीधी हो जाती हैं। सीधी किरणें होने के कारण गर्मी भी बढऩे लगती है। एेसे में दिनभर का प्रकाश भी लम्बे समय के लिए हो जाता है। प्रकाश की न्यूनाधिकता के कारण की उत्तरायण को अधिक महत्व दिया जाता है। इस बदलाव के चलते 14 जनवरी को सूर्य उत्तरायण और 16 जुलाई को दक्षिणयाण में होता है।


इसलिए कहते हैं मकर संक्रांति
पुराणों में मकर संक्रांति मनाने के कई मायने हैं, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से मकर संक्रांति कहलाना अलग बात कहता है। दरअसल जितने समय में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, उस समय को सौर वर्ष कहा जाता है। वहीं पृथ्वी की गोलाई में सूर्य के चारों ओर घूमना क्रांतिचक्र कहलाता है। इस प्रकार मकर रेखा से उत्तर की तरह सूर्य के जाने को मकर संक्रांति कहा जाता है।

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