ओवरफ्लो हो जाते हैं तालाब- लगातार अतिक्रमण होने से ज्यादातर तालाबों का कैचमेंट एरिया सिमट गया है। तालाबों के किनारों को भी खोदकर भवन-दुकानों का निर्माण कर लिए जाने से हर साल बरसात में गंगा सागर, बघाताल, सूरजताल ओवरफ्लो हो जाते हैं। उनका पानी कॉलोनियों में भर जाता है। शहर के जिन भी इलाकों में तालाब पूरी तरह पूर दिए गए वहां जलभराव बड़ी समस्या है। माढ़ोताल को पूरकर सिविक सेंटर विकसित किया गया। इस क्षेत्र में तेज बारिश होने पर सड़कों में लबालब पानी भर जाता है। इसी तरह से चेरीताल का नामोनिशान नहीं बचा है।, लेकिन इस क्षेत्र में जलभराव बड़ी समस्या है।
नाले कवर्ड होने से समस्या
ओमती नाला, मोती नाला समेत अन्य नालों को जहां भी पूरी तरह से कवर्ड कर चौकोर बना दिया गया है। आसपास से बरसात का पानी इन नालों में जो पानी प्राकृतिक बहाव के साथ आ जाता था अब कई जगह नाले में नहीं पहुंच पाता इसके कारण सड़क पर जलभराव हो जाता है।
ओमती नाला, मोती नाला समेत अन्य नालों को जहां भी पूरी तरह से कवर्ड कर चौकोर बना दिया गया है। आसपास से बरसात का पानी इन नालों में जो पानी प्राकृतिक बहाव के साथ आ जाता था अब कई जगह नाले में नहीं पहुंच पाता इसके कारण सड़क पर जलभराव हो जाता है।
शहर के प्रमुख तालाबों को उन्नयन, सौंदर्यीकरण के लिए योजना में शामिल किया गया है, एक-एक कर उन्हें अतिक्रमण मुक्त कराने के साथ ही उनमें डीशिल्टिंग का भी काम किया जाएगा। प्रीति यादव, आयुक्त नगर निगम