याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कम फ्लाइट होना जबलपुर के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कम फ्लाइट हैं। पूर्व में जबलपुर से मुम्बई, पुणे, कोलकाता, बेंगलुरू आदि शहरों के लिए फ्लाइट संचालित होती थी। जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी प्रदेश इंदौर, ग्वालियर तथा भोपाल के सामान थी। लेकिन लगातार इनके बंद होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
15 से 5 हो गईं फ्लाइट याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया कि पूर्व में जबलपुर से औसतन 15 फ्लाइट संचालित होती थीं। वर्तमान में घटकर इनकी संख्या 5 हो गयी है। जिससे जबलपुर का विकास अवरुद्ध हो रहा है। याचिका में केन्द्रीय उड्डयन विभाग, डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन तथा एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को अनावेदक बनाया गया है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की।
सिविल सोसायटी का विरोध जबलपुर में हवाई सेवा को लेकर सामाजिक संगठन लगातार आंदोलन कर रहे हैं। बड़ा कदम उठाते हुए एक दिन नो फ्लाई डे का अभियान भी चलाया गया था। वायु सेवा संघर्ष समिति की प्रीति चौधरी ने बताया कि इस विरोध प्रदर्शन के बीच ही मुंबई की फ्लाइट चालू की गई। लेकिन बाकी के लिए अब भी इंतजार है। इसलिए यह आंदोलन जारी है।