हमारी परम्परा में कुटुम्ब को ईकाई माना
कुटुम्ब एकत्रीकरण को सम्बोधित करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि भोगवादी जीवनशैली में व्यक्तिवाद केंद्रीय स्थान पर है, लेकिन हमारी प्राच्य परम्परा में कुटुम्ब को समाज की इकाई माना है। कुटुम्ब से व्यक्ति और समाज दोनों का, सब प्रकार से पोषण होता है। व्यक्तिवाद को ही सब कुछ मानना और सामाजिक व्यवस्था के नाम पर व्यक्ति के अधिकारों का हनन दोनों ही अनुचित है। इस बारे में समाज के प्रबुद्ध लोगों को विचार करना चाहिए। समाज के लोगों के साथ बात करनी चाहिएद्ध
प्रांत पदाधिकारियों से पूछा कैसे कार्य करते हैं
डॉ. भागवत ने प्रांत पदाधिकारियों के साथ बैठक में उनका परिचय लिया। उनके दायित्व की जानकारी ली। इसके बाद उनकी कार्यपद्धति पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने पदाधिकारियों को गृहसम्पर्क के साथ ही कार्य विस्तार पर जोर दिया। इस बीच शहर के कुछ प्रबुद्धजनों ने भी डॉ. भागवत से मुलाकात की। कार्यक्रम का शुभारम्भ गोपूजन, तुलसी पूजन, दीप प्रज्वलन और भारत माता को पुष्पांजलि से हुआ। मंच पर क्षेत्र संघचालक अशोक सोहनी, प्रांत संघचालक डॉ. प्रदीप दुबे, विभाग संघचालक डॉ. कैलाश गुप्ता उपस्थित थे।