स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि चलना है, तो एक साथ मिलकर चलो, बोलना है, तो एक स्वर में बोलो, सबके मन एक साथ संकल्प करें। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार यज्ञ में आमंत्रित करने में सभी देवता आ उनका कहना था कि भारत के 140 करोड़ लोग एक साथ यदि कोई बात कहें, तो कोई भी सरकार उनकी बात नकार नहीं सकती।
भगवान ने बनाए वर्ण
उन्होंने कहा कि अयोध्या के रामघाट पर चारों वर्णों लोग एक साथ नहाते थे। भारत से जब तक वीआइपी की परम्परा नहीं जाएगी, तब तक भारत समर्थ भारत नहीं बन सकता। आज एक एक मुकदमा चालीस से पचास वर्ष तक चलता है। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि का मुकदमा 1949 से 9 नवंबर 2019 तक चला, तब न्याय मिल पाया।
भेदभाव मिटाया
स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि श्रीराम की समरसता इतनी व्यापक है, जिसने पशुओं के मन से भी भेदभाव हटा दिया। भगवान ने तो वानर जैसे प्राणियों को भी अनुशासन सिखा दिया। जटायु को अपना पिता बनाने वाले प्रभु राम ने समरसता का उदाहरण दिया। भगवान के यहां कोयल के रूप में वाल्मीकि भी हैं, तो भुसुंडी जैसा कौआ भी था। कार्यक्रम में स्वामी राघव देवाचार्य, चित्रकूट से आए स्वामी रामचंददास, दंडी स्वामी कालिकानंद, स्वामी अखिलेश्वरानंद, स्वामी गिरिशानंद, स्वामी पगलानंद, डॉ राधेचैतन्य, साध्वी संपूर्णा, साध्वी शिरोमणि, स्वामी रामभारती, संत केवलपुरी, स्वामी रामशरण, स्वामी रामकृष्णदास, सिख समाज से हरजीत सिंह शामिल हुए।
वहीं स्वामी रामभद्राचार्य के आने के पहले समरसता सेवा संगठन ने स्वामी राघवदेवाचार्य के साथ शोभायात्रा निकाली। श्रीराम जानकी मंदिर छोटा फुहारा से शुरू होकर मिलौनीगंज, कोतवाली, सराफा, कमानिया गेट, बड़ा फुहारा, लार्डगंज, सुपर मार्केट, मालवीय चौक से होते हुए शहीद स्मारक गोलबाजार में आयोजित कार्यक्रम स्थल में सम्पन्न हुई।