scriptsurya grahan 2017 सूर्य ग्रहण के अनसुने रहस्य, जिन्हें जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान | Patrika News
जबलपुर

surya grahan 2017 सूर्य ग्रहण के अनसुने रहस्य, जिन्हें जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

एक वर्ष में 2 सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए, यदि किसी वर्ष 2 ही ग्रहण हुए तो वो दोनो ही सूर्यग्रहण होंगे

जबलपुरAug 19, 2017 / 11:08 am

Lalit kostha

surya grahan secrets and facts in india

surya grahan secrets and facts in india

जबलपुर। साल 2017 का दूसरा सूर्यग्रहण 21 अगस्त को होगा। माना जा रहा है कि ये पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा। चंद्र ग्रहण के दो सप्ताह बाद सूर्य ग्रहण लगता है। इस बार चंद्र ग्रहण की तरह ही सूर्य ग्रहण भी सोमवार को पड़ रहा है। खगोल शास्त्रियों नें गणित से निश्चित किया है कि 18 वर्ष 18 दिन की समयावधि में 41 सूर्य ग्रहण और 29 चन्द्र ग्रहण होते हैं। एक वर्ष में 5 सूर्य ग्रहण तथा 2 चन्द्रग्रहण तक हो सकते हैं। किन्तु एक वर्ष में 2 सूर्यग्रहण तो होने ही चाहिए। हाँ, यदि किसी वर्ष 2 ही ग्रहण हुए तो वो दोनो ही सूर्यग्रहण होंगे।

READ ALSO- Ganesh Chaturthi गणेश जी के इन मन्त्रों का जाप करेगा धन की बारिश, मिलेगी संपदा 
सूर्य ग्रहण के कारण-
वैज्ञानिकों के मुताबिक, किसी खगोलीय पिंड का पूर्ण अथवा आंशिक रूप किसी अन्य पिंड से ढक जाना या पिंड के पीछे आ जाना ग्रहण कहलाता है। ऐसे ही सूर्य ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है। इसके बाद धरती के कुछ हिस्सों पर सूर्य नजर नहीं आता है। जब सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से चंद्रमा द्वारा ढक लिया जाता है तो उसे पूर्ण एवं आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।

सूर्य ग्रहण के प्रकार

पूर्ण सूर्य ग्रहण- पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है। इसके फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुँच नहीं पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।

आंशिक सूर्य ग्रहण- आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।

surya grahan 2017 सूर्य ग्रहण-सोमवती अमावस्या का योग, जानें व्रत पूजा और ग्रहण काल 

वलयाकार सूर्य ग्रहण- वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।

सूर्य ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं

ऋषि-मुनियों ने सूर्य ग्रहण लगने के समय भोजन के लिए मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते हैं। खाद्य वस्तु, जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। इसलिए ऋषियों ने पात्रों में कुश डालने को कहा है, ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके। पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है ताकि कीटाणु मर जाएं। ग्रहण के बाद स्नान करने का विधान इसलिए बनाया गया ताकि स्नान के दौरान शरीर के अंदर ऊष्मा का प्रवाह बढ़े, भीतर-बाहर के कीटाणु नष्ट हो जाएं और धुल कर बह जाएं।

Hindi News/ Jabalpur / surya grahan 2017 सूर्य ग्रहण के अनसुने रहस्य, जिन्हें जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

ट्रेंडिंग वीडियो