पिछले हफ्ते हुई मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग के दौरान मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जजों ने ये संकल्प पारित किया है मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ऐसा प्रस्ताव पारित करने वाला देश का दूसरा हाई कोर्ट बन गया है। आपको बता दें कि, इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बीते 2 अगस्त 2021 को ये प्रस्ताव पारित किया था। तब जस्टिस रवि मलिमठ हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने कही थी ये बात
आपको बता दें कि, इस प्रस्ताव के जरिए ‘अधीनस्थ’ शब्द का इस्तेमाल खत्म कर दिया गया है। ये माना गया कि, जिला न्यायपालिका स्वतंत्र न्यायपालिका है और ये किसी भी इकाई के अधीनस्थ या उससे कमतर नहीं है। गौरतलब है कि, पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सम्मान समारोह में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि, ‘मुझे लगता है कि हमने अधीनता की संस्कृति को बढ़ावा दिया, हम जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ कोर्ट कहते हैं, मैं जिला जजों को अधीनस्थ जज के रूप में संबोधित करने से सहमत नहीं हूं। वो अधीनस्थ नहीं, बल्कि जिला न्यायाधीश हैं।’
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क्या है इसका मकसद ?
मध्य प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के आदेश से परिपत्र जारी किया गया है और इसपर रजिस्ट्रार जनरल रामकुमार चौबे द्वारा हस्ताक्षर भी कर दिए गए हैं। उच्च न्यायालय के एक शीर्ष रजिस्ट्री अधिकारी का कहना है कि, ‘अधीनस्थ न्यायपालिका और अधीनस्थ अदालतों के इस्तेमाल को रद्द करने के प्रस्ताव का उद्देश्य ये बताना है कि, हर अदालत अपने अधिकार क्षेत्र में स्वतंत्र है।’
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