व्रत पूजा विधि
संतान सप्तमी के दिन माताएं सुबह स्नान ध्यान के बाद व्रत शुरू करती हैं। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए पूरा दिन गुजारती हैं और पूजन की तैयारियां करती हैं। शास्त्रों के अनुसार शाम को निराहार व्रत कर, दोपहर को चौक पूरकर चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से फिर से शिव- पार्वती की पूजा करनी चाहिए। सप्तमी तिथि के व्रत में नैवेद्ध के रुप में खीर-पूरी तथा गुड के पुए बनाये जाते है।
संतान की रक्षा की कामना करते हुए भगवान भोलेनाथ को कलावा अर्पित किया जाता है तथा बाद में इसे स्वयं धारण कर इस व्रत की कथा सुननी चाहिए। व्रत की कथा सुनने के बाद भगवान शिव- पार्वती की पूजा दूप, दीप, फल, फूल और सुगन्ध से करते हुए नैवैध का भोग भगवान को लगाना चाहिए और भगवान शिव कि आरती करनी चाहिए।