तीन दिन बाद आई बुरी खबर, वीजा के काम से गए थे मुंबई दो माह पूर्व ही हुए थे सेवानिवृत्त सदर निवासी डॉ. आलोक चंसोरिया ने बताया कि सिविल लाइंस निवासी मनोज चंसोरिया एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुंबई एयरपोर्ट में पदस्थ थे। 31 मार्च को वे रिटायर्ड हुए। जिसके बाद मनोज पत्नी के साथ जबलपुर आ गए थे।
अंगूठी और जेवरात से हुई पहचान हादसे और मलबे में माता-पिता के दबने की जानकारी लगते ही यश अमेरिका से मुंबई पहुंचे। वहीं जबलपुर से मनोज के बचपन के दोस्त विनय नेमा और मनोज के जीजा डॉ. परिमल स्वामी मुंबई पहुंचे। वहां बुधवार को दंपत्ति का शव मलबे से निकाला गया। मनोज की पहचान अंगूठी से और अनीता की पहचान भी उनके जेवरात के जरिए हुई। जिसके बाद मुंबई पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई के बाद शव को यश के सुपुर्द किया। मलबे में तीन दिन तक दबे रहने के कारण दोनों शव बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे। जिसके चलते दोनों का अंतिम संस्कार मुंबई में ही किया गया।
डॉ. केपी चंसोरिया के है बेटे मनोज नेताजी सुभाषचन्द्र बोस मेडिकल अस्पताल में पदस्थ रहे डॉ. केपी चंसोरिया के बेटे थे। डॉ. चंसोरिया की मौत हो चुकी है। मनोज के साथ उनकी मां कांति चंसोरिया रहती थी। जिस वक्त हादसा हुआ, उस वक्त वे जबलपुर में ही थीं। जैसे ही बेटा और बहू की मौत की जानकारी उन्हें लगी, तो वे बुरी तरह से टूट गईं।
कार में पेट्रोल भरवा रहे थे वे अमेरिका में बेटे यश के पास जाने के लिए वीजा बनवाने की तैयारी में लगे थे। इसके चलते कुछ दिनों पूर्व मनोज और अनीता कार से मुंबई के लिए रवाना हुए। सोमवार को वे जबलपुर वापस आने के लिए निकले थे। वे पेट्रोल पंप में कार में पेट्रोल भरवा रहे थे। तभी तेज तूफान आया और विशालकाय होर्डिंग उनकी कार पर जा गिरा। जिस कारण दंपत्ति समेत कई लोगों की दबने के कारण मौत हो गई।