जबलपुर

सेवा का संकल्प ही दिला रहा नशे का छुटकारा

आश्रम में की जा रही सेवा, मरीजों को जोड़ा जाता है समाज की मुख्य धारा से

जबलपुरJan 27, 2020 / 08:33 pm

manoj Verma

गोहलपुर के शांतम प्रज्ञा आश्रम में जिले भर के भर्ती लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है। , गोहलपुर के शांतम प्रज्ञा आश्रम में जिले भर के भर्ती लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है। , गोहलपुर के शांतम प्रज्ञा आश्रम में जिले भर के भर्ती लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है। , गोहलपुर के शांतम प्रज्ञा आश्रम में जिले भर के भर्ती लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है। , गोहलपुर के शांतम प्रज्ञा आश्रम में जिले भर के भर्ती लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है।

जबलपुर । समाज के एेसे लोगों को पुनर्वास देकर उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है, जो जाने-अनजाने में नशे के दलदल में फंस गए थे। अब इन्हें दवा और योग से नशामुक्त किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। गोहलपुर के शांतम प्रज्ञा आश्रम में जिले भर के भर्ती लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिया जाता है। आश्रम के जिम्मेदारों का कहना है कि तीन वर्षों में एेसे लोगों को ठीक किया जा चुका है, जिनके परिवार लगभग तबाही के कगार पर पहुंच गए थे। आश्रम में स्वास्थ्य लाभ देने के बाद उनकी नशे की आदत दूर हो गई और अब वे परिवार का भरण पोषण कर सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
समाज को नशा मुक्त तथा तनाव मुक्त बनाने शांतम प्रज्ञा आश्रम नशा मुक्ति मनो आरोग्य दिव्यांग पुनर्वास केंद्र 3 वर्षो से समाज सेवा कर रहा है। आश्रम में नशा पीडि़तों को नशे से मुक्त कराया जाता है बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति से अवगत कर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा भी जाता है। आश्रम में भर्ती नशा पीडि़त तथा मानसिक रोगी को पारिवारिक माहौल देकर परामर्श, दवाइयां तथा अनुशासनात्मक दिनचर्या, योग ध्यान तथा विशेषज्ञों द्वारा निगरानी की जाती है।
मनोचिकित्सा प्रमुख
आश्रम में नशापीडि़त तथा मानसिक रोगियों के लिए मनोचिकित्सा तथा मनोवैज्ञानिक के अलावा आयुर्वेदिक पद्धति के द्वारा उपचार किया जाता है। साइकोथेरेपी, अध्यात्मिक चिकित्सा, योग-ध्यान, व्यायाम, आयुर्वेद पंचकर्म से मानसिक उपचार किया जा रहा है।
मरीज ही करते हैं एक-दूसरे को मदद
आश्रम में भर्ती मरीज सभी जिम्मेदारी निभाते हैं। पहले ठीक हुए मरीज नए आने वाले मरीजों की देखभाल करते हैं। नए मरीजों को सामान्य होने में सहायता करते हैं। आश्रम में भर्ती मरीजों को शाकाहारी भोजन दिया जाता है। मरीजों के मनोरंजन के लिए टीवी, समाचार पत्र, खेलकूद के अवसर दिए जाते हैं। यहां से मरीजों के परिजनों को प्रतिदिन फोटो भेजी जाती है।
एेसे होती है सेवा
आश्रम में आने वाले मरीजों को पारिवारिक माहौल देकर उसे नशे की लत लगने पर दवाएं दी जाती है। दवाओं के साथ ध्यान-योग और मनोचिकित्सा की मदद से मरीज को अन्य साथियों के साथ सामान्य दिनचर्या में रखा जाता है। इस दौरान मरीज के परिजनों से मिलने की इजाजत नहीं दी जाती है। नए माहौल में आने पर मरीज में आने वाले बदलाव होते ही साइकोथेरेपी, अध्यात्मिक चिकित्सा, व्यायाम, आयुर्वेद पंचकर्म से उपचार शुरू किया जाता है।
ये कहते हैं मरीज
हमारे परिजनों को पहले विश्वास नहीं हुआ था लेकिन आश्रम में आने के बाद हमें फायदा हुआ है, अब हमें नशे की तलब नहीं लगती है।
मुन्ना
रिश्तेदार हमें इलाज के लिए बाहर ले गए थे लेकिन वहां हम ज्यादा नहीं रहे पाए। आश्रम में आकर तो हमें घर सा प्रतीत होने लगा है।
दीना
हम संगत में नशे के दलदल में फंस गए थे। हमारा परिवार बर्बाद हो रहा था। आश्रम का पता चलते हमें यहां लाया गया। अब तो स्थिति बदल ही गई है।
टिक्कू
नोट- मरीजों के नाम काल्पनिक दिए गए हैं।
संस्कारधानी में नशा पीडि़त तथा मानसिक रोगियों की सेवा के बाद प्रदेश के हर जिले में शांतम प्रज्ञा आश्रम की स्थापना की जा रही है। आश्रम का संचालन मरीज के परिजनों द्वारा प्रदान की जाने वाली दानराशि से चलता है।
मुकेश कुमार सेन, संस्थापक, शांतम प्रज्ञा आश्रम नशा मुक्ति मनो आरोग्य दिव्यांग पुनर्वास केंद्र

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