जबलपुर। उल्लू यह एक ऐसा पक्षी है जो इंसानों की रक्षा करता है। यह सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी कि यह कैसे संभव है। उल्लू सर्प और चूहों को खा जाता है जिससे फसलों की सुरक्षा होती है। ऐसी ही जहरीले जीवों को मारकर मानवजाति की रक्षा करने वाला विलुप्त प्रजाति का दुर्लीा उल्लू जबलपुर के सहसपुर में घायल अवस्था में मिला है। इसे वन्य प्राणी विशेषज्ञ ने पकड़कर विटनरी में उपचार कराते हुए प्राकृतिक रहवास में उसे छोड़ा है।
फंसा था तार में
सर्प विशेष गजेंद्र दुबे ने बताया कि उन्हें सर्प हेल्पलाइन में सूचना मिली की एक उल्लू काफी समय से तार में फंसा हुआ है। सूचना मिलने पर दुबे जब मौके पर पहुंचे तो देखा कि सहसपुर के हेमराज गुप्ता के घर पर तार में फंस कर उल्लू घायल हो गया था। वार्न आऊल जिसे हवेली का उल्लू के नाम से जाना जाता है, वह फंसा हुआ है। रेस्क्यू कर उल्लू को सुरक्षित तार से बाहर निकाला गया।
विटनरी में इलाज
तार में फंसने के कारण उल्लू घायल हो गया था। वन्य प्राणी विशेषज्ञ उसे विटनरी अस्पताल लेकर पहुंचे। उसका उपचार कराया। 3-4 घंटे में उसके स्वास्थ्य में सुधार होने और उडऩे की क्षमता आने पर उसे तिलवारा के जंगल प्राकृतिक रहवास में छोड़ा गया।
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शिकार पर है बैन
गजेंद्र दुबे ने बताया कि उक्त उल्लू की प्रजाति देशभर में विलुप्त होने की कगार पर है। यह नर उल्लू है। वन्य प्राणी सुरक्षणा अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति है। कुछ सालों से तंत्र विद्या आदि की भ्रमित जानकारियों के आधार पर शिकार बढ़ गया था, जिसे इसकी प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई है। अब इस उल्लू के शिकार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।
ये है खासियत
– उडऩे की अधिक क्षमता
– खेतों की रक्षा करता है
– खरगोस खाता है
– कीट पतंग खाता है
– सपों को मार देता है
– प्रकृति का अभिन्न अंग है
– चूहा इसका प्रमुख आहार है
– हवेलियों की शान कहलाता है
ये हैं विशेषताएं
गजेंद्र दुबे वन्य प्राणी विशेषज्ञ ने बताया कि उल्लू एक ऐसा विचित्र पक्षी है, जिसे दिन कि अपेक्षा रात में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है। इसके कान बेहद संवेदनशील होते हैं और रात में जब इसका कोई शिकार थोड़ी सी भी हरकत करता है, तो इसे पता चल जाता है और यह उसे दबोच लेता है। इसके पैरों में टेढ़े नाखूनों-वाले चार पंजे हैं, जिससें इसे शिकार को दबोचने में विशेष सुविधा मिलती है। इसे रात का पक्षी कहते हैं। बड़ी आंखें बुद्धिमान व्यक्ति की निशानी होती है और इसलिए उल्लू को बुद्धिमान माना जाता है।
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लक्ष्मीजी का है वाहन
उल्लू का रात में बोलना कई लोग आज भी अशुभ मानते हैं। वहीं इसका तंत्र विद्या में खूब उपयोग होने लगा था। कुछ देशों में प्रचलित पौराणिक कहानियों में उल्लू को बुद्धिमान माना गया है। प्रचीन यूनानियों में बुद्धि की देवी, एथेन के बारे में कहा जाता है कि वह उल्लू का रूप धारकर पृथ्वी पर आई हैं। भारतीय पौराणिक कहानियों में भी यह उल्लेख मिलता है कि उल्लू धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है। हिन्दू संस्कृति में माना जाता है कि उल्लू समृद्धि और धन लाता है। डरावने दिखने के कारण कुछ लोग उल्लू से डरते भी हैं।
यहां पाया जाता है उल्लू
वीराने घरों में, खंडहरों में, पुराने पेडों की कोटरों में उल्लू का निवास होता है। मांसाहारी जीव होने के कारण यह रात्रिचर है और अपनी गतिविधियां सूर्यास्त के बाद ही शुरु करता है। उल्लू को लेकर लोगों के मन में एक अंधविश्वास भी है। कहा जाता है कि इसे भगाने के लिये कभी मिट्टी के ढेले से नही मारा जाता है,कारण यह भी बताया जाता है कि अगर इसे मिट्टी के ढेले से मारा जाता है तो यह उस ढेले को लेजाकर किसी पोखर या तालाब में डाल देता है और जैसे जैसे वह ढेला पानी के अन्दर गलता है वैसे वैसे इसे मारने वाला व्यक्ति भी शारीरिक बीमारी से गल कर मर जाता है। हालांकि यह सिर्फ अफवाह है।