यूजीसी की 11वीं योजना के तहत वर्ष 2007-12 के दौरान गल्र्स हॉस्टल के नए भवन के निर्माण के लिए एक करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। निर्माण प्रारम्भ करने के लिए विवि प्रशासन को पहली किश्त के तौर पर 50 लाख रुपए दिए थे। इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही के चलते निर्माण समय सीमा में शुरू नहीं किया गया। न ही प्रोग्रेसिव रिपोर्ट भेजी गई। जिससे यूजीसी ने एतराज जताते हुए राशि वापसी का फरमान दिया है। उक्त फाइल चार विभागों में घूमती रही। ये स्थापना विभाग, इंजीनियरिंग विभाग, डेवलपमेंट विभाग, एकाउंट सेक्शन भी पहुंची।
ग्रांट से जुड़ी फाइल नहीं मिल रही है। इसे लेकर सम्बंधित अधिकारियों को चेतावनी दी गई है। यदि फाइल नहीं मिलती है तो पुलिस को मामला भेजा जाएगा।
– प्रो. कमलेश मिश्रा, रजिस्ट्रार रादुविवि
अब विवि ने कहा काम हुआ पूरा
यूजीसी की ओर से कहा गया है कि निर्माण का सर्टिफिकेट नहीं दिए जाने से ग्रांट रोकी जा रही है। साथ ही पूर्व में दी गई राशि ब्याज सहित वापस ली जाएगी। इस निर्णय के बाद विवि ने पत्र लिखकर कहा है कि गल्र्स हॉस्टल की बिल्डिंग करीब 1.15 करोड़ रुपए में बनकर तैयार की जा चुकी है। अत: शेष रकम ग्रांट के रूप में दें अथवा 12वीं पंचवर्षीय योजना में शेष 50 लाख रुपए दिए जाएं।