जबलपुर

24 जून: अब भी यहां मौजूद है वह नाला, जहां ‘दुर्गावती’ ने खुद को घोंपी थी कटार

रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस: वह तीर थी तलवार थी, भालों व तोपों का वार थी। फुफकार थी, हुंकार थी, शत्रु का संहार थी। गोंडवाना की रणचंडी, दुर्गावती भवानी थी।

जबलपुरJun 24, 2016 / 12:19 pm

Abha Sen

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