जबलपुर. निजी स्कूलों की फिक्सिंग और अवैध फीस वसूली के मामले में आरोपियों को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। पुलिस कार्रवाई पर रोक और अभियोजन की कार्रवाई रोकने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की पीठ ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और पुलिस जांच शुरूआती चरण में हैं, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है।
हाईकोर्ट ने पुलिस कार्रवाई रोकने से इनकार किया चार हफ्ते में सरकार से रिपोर्ट मांगी जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने 11 निजी स्कूल संचालकों, उनके स्टाफ और बुक सेलर्स व बुक मुद्रक-प्रकाशकों सहित 51 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, विश्वास छल और साजिश रचने की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है। इनमें 21 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस रिमांड में उनसे पूछतांछ व रिकवरी चल रही है। इस कार्रवाई के खिलाफ आरोपियों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कार्रवाई रोकने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं का तर्क था कि अवैध फीस वसूली के मामले में मध्यप्रदेश राज्य का कानून मौजूद है और उसके तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। फर्जी किताबों के लिए संचालक जिम्मेदार नहीं हैं।
सरकार ने बताया व्यापक जनहित से जुड़ा मामला सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि यह व्यापक जनहित से जुड़ा मामला है। वाइट कॉलर लोगों को मनमानी की छूट नहीं दी जा सकती। अभिभावकों और बच्चों के हित जुड़े हुए हैं। आरोपियों पर गंभीर आरोप हैं और जांच और विवेचना में उनसे दस्तावेज की रिकवरी हो रही है। अगर उन्हें राहत मिलती है तो साक्ष्य प्रभावित कर सकते हैं। हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए किसी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। मामले की सुनवाई चार हफ्ते के लिए बढ़ा दी और सरकार को रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।
रिमांड खत्म होने पर तीन आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। वहीं एक आरोपी की पुलिस रिमांड बढ़ाई गई है। टीम द्वारा आरोपियों की निशानदेही पर और उनके कार्यालयों से कई दस्तावेज जब्त किए गए है।
आदित्य प्रताप सिंह, एसपी
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