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जबलपुर

राख का ऐसा प्रयोग नहीं देखा सुना होगा आपने, ये शहर रचने जा रहा इतिहास

फ्लाई ऐश से तैयार की जा रही इंटीरियर डेकोरेशन की सामग्री, ईंट बनाने की तैयारी, पीयूसी से मांगी अनुमति

जबलपुरAug 20, 2017 / 10:42 am

Lalit kostha

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जबलपुर। कचरे से बिजली बनने के सफल प्रयास के बाद अब कचरा जलाने के बाद निकलने वाली राख (एेश)का भी इस्तेमाल किया जाएगा। इस एेश इंटीरियर डेकोरेशन सामग्री, निर्माण सामगी के लिए ईंट और अन्य उपयोग किया जा सकेगा। राख के इस्तेमाल के लिए नगर निगम ने प्रदूषण विभाग को सेंपल भेजा है। सेंपल जांच के बाद अनुमति मिलते ही इस राख का इस्तेमाल किया जा सकेगा। प्रायोगिक तौर पर निगम ने कुछ सेंपल प्रोडेक्ट बनाए हैं, जिससे इस राख के अनुपयोग की संभावनाएं बढ़ गई है।

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शहर में कचरा प्रबंधन के तहत कठौंदा में एक यूनिट स्थापित किया गया है। इस यूनिट में शहर भर से आने वाले कचरे को जलाया जाता है। कचरे के जल जाने के बाद इसकी करीब ३०-४० प्रतिशत राख बच जाती है। लगातार कचरे के जलाए जाने से राख का ढेर लग गया है। राख की बढ़ती समस्या और ढेर को देखते हुए इसका इस्तेमाल करने के लिए नगर निगम ने प्रयोग किया और प्रारंभिक चरण में इसका इस्तेमाल ईंट निर्माण, गमले आदि में किया। बेहतर परिणाम सामने आते ही इस राख के इस्तेमाल के लिए पीयूसी से अनुमति मांगी।

IMAGE CREDIT: patrika

दो प्रकार की होती है राख
कठौंदा प्लांट में कचरा जलाने के दौरान दो प्रकार की राख निकल रही है। इसमें बॉटम एेश और फ्लाईं एेश बचती है। शेष धुआं फिल्टर होकर निकल जाता है। जानकारों का कहना है कि कचरा जलाने के दौरान करीब ३० फीसदी बॉटम एेश और २० फीसदी फ्लाई एेश बचती है। इस एेश में अंतर होता है। नीचे वाली एेश भारी रहती है, जबकि फ्लाई एेश हल्की और बारीक होती है।

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निगमायुक्त ने की पहल-
कठौंदा प्लांट में निरीक्षण के दौरान निगमायुक्त ने राख देखकर इसके उपयोग के लिए नगर निगम के इंजीनियर और प्लांट प्रभारी से कहा। राख के इस्तेमाल के लिए पहले प्रयोग किए गए, इसमें इंजीनियर राजेश गुप्ता ने फ्लाई एेश में सीमेंट मिलाकर गमले तैयार किए। इसमें राख और सीमेंट का मिश्रण दस: एक का रखा। प्लास्टिक के गमले का सांचे के रूप में इस्तेमाल किया गया।

बाहर से बुलाए गए कारीगर-
ईंट और गमले निर्माण के लिए बाहर से कारीगर बुलवाए गए। कारीगीरों में पथेरों ने राख, सीमेंट और रेत का मिश्रण तैयार किया और उसे सांचे में डालकर हाथों से चिकनी सरफेस की। मिश्रण के सख्त होते ही उसे सूखने रख दिया गया। इस प्रोडेक्ट को सुखाने के बाद इसकी गुणवत्ता की जांच की गई और उसका प्रायोगिक परीक्षण किया गया।
आईएसबीटी में तैयार हुआ प्रोडेक्ट-
आईएसबीटी में इस प्रयोग को किया गया था। यहां जगह होने के साथ शासकीय निर्माण सामग्री के साथ राख मिलाई गई थी। मौके पर इंजीनियर सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे।

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पीयूसी को भेजा पत्र
नगर निगम ने कचरे की राख को गंभीरता से लेते हुए उसकी रासायनिक जांच के लिए प्रदूषण विभाग को पत्र भेजा है। इसके साथ ही फ्लाईं एेश और बॉटम एेश को सेंपल भी दिया है ताकि इसके उपयोग से होने वाली हानि का पता चल सके। पीयूष ने राख की जांच की है और अभी इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है।

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