जबलपुर

सात साल में पूरे नहीं हुए पीएम आवास, ठेकेदार छोड़ रहे काम

गरीबों का सपना अधूरा , शहर में 4 हजार बनना है ईडब्ल्यूएस मकान

जबलपुरApr 14, 2023 / 12:38 pm

gyani rajak

EWS houses Kudwari,jabalpur

जबलपुर. शहर में लोगों को घर उपलब्ध करवाने में नगर निगम पीछे है। प्रधानमंत्री आवास योजना का निर्माण अधूरा पड़ा है। शहर से 10 किमी दूर कुदवारी में छह साल बाद भी लोगों की चहल-पहल शुरू नहीं हुई। यहां छह मंजिल वाले ईडब्ल्यूएस मकान बन रहे हैं। उसमें केवल 4 ब्लॉक पूरे हुए हैं। इनमें तीन ऐसे हैं जो जर्जर नजर आते हैं। उनके नीचे झाडि़यां उग आई हैं। ऐसी ही हालत तेवर, मोहनिया, तिलहरी और परसवाड़ा के आवासों की है।

नगर निगम सीमा में प्रधानमंत्री आवास योजना में कुल 3984 ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकान बन रहे हैं। 460 मकानों की बुुकिंग हुई है। उनमें अब तक 288 पूरे हो पाए हैं। देरी के कारण लोग इन मकानों को लेने से कतराने लगे हैं। कुदवारी में तो साइट तक पहुंचना भी मुश्किल है। अमखेरा मुख्य मार्ग से लेकर वादा नगर मार्ग में कहीं ऐसा संकेत या बोर्ड नहीं लगा जिसमें इस प्रोजेक्ट का जिक्र हो। लोगों को साइट तक पहुंचने के लिए कई जगह पूछताछ करनी पड़ती है। निर्माण स्थल पर जो गेट बना है, वह अधूरा है। उसमें कोई जानकारी भी अंकित नहीं की गई है।

वर्ष 2017 से चल रहा निर्माण

यहां पर वर्ष 2017 से निर्माण चल रहा है। यहां ईडब्ल्यूएस मकान फ्लैट के रूप में बन रहे हैं। एक टावर में 48 मकान हैं। इस लिहाज से 576 मकान बनेंगे। इतनी ही संख्या एलआइजी और एमआईजी की है। ईडब्ल्यूएस मकानों में अभी चार टावर बनकर तैयार हैं। एक मकान का क्षेत्रफल 287 वर्गफीट है। चार टावर में दो में काम पूरा हुआ है। 112 मकानों की बुकिंग हो चुकी है। उनमें 16 परिवार रहने लगे हैं।

परसवाड़ा में ठेकेदार ने खडे़ किए हाथ

परसवाड़ा में वर्ष 2019 से ए और बी दो फेज में काम चल रहा है। इसी तरह तिलहरी में भी ईडब्ल्यूएस मकान बन रहे हैं। बी फेज में तो जैसे-तैसे काम शुरू हुआ लेकिन ए फेज में ठेकेदार ने काम बंद कर दिया है। निर्माण के बाद भुगतान नहीं हुआ है। वहां काम ठप पड़ा है। इस जगह पर बुकिंग की संख्या भी नामामात्र की है। मोहनिया में पांच ब्लॉक ठीक िस्थति में हैं। कुछ में लोग रहने लगे हैं लेकिन ज्यादातर मकान अधूरे हैं। तेवर में एक ब्लॉक पूरा हो गया है। दो में अभी काम शुरू हुआ है।

 

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यह है िस्थति

-3984 कुल स्वीकृत ईडब्ल्यूएस आवास।

– 288 मकान बनकर हो चुके हैं तैयार।

– 462 मकानों की लोगों ने की है बुकिंग।

डेढ़ साल में तैयार करने का वादा
इस योजना में जो मकान बन रहे हैं, वह पीपीपी मोड पर हैं। इनका निर्माण बहुत हद तक शासन के अनुदान पर निर्भर करता है। ईडब्ल्यूएस में केंद्र और राज्य शासन से डेढ़-डेढ़ लाख रुपए की सब्सिडी मिलती है। सब्सिडी घटाकर इसकी कीमत 5 लाख 38 हजार 950 रुपए होती है। यह राशि हितग्राही को चुकानी पड़ती है। कई बार शासन से राशि आने में देरी होती है। इसी प्रकार निर्माण में देरी के कारण लोग भी बुकिंग के लिए इतनी पूंजी फंसाने में हिचकते हैं। कुछ कारण दूरी को लेकर भी है। जितने भी प्रोजेक्ट हैं, वह शहर से 10 से 12 किमी की दूरी पर हैं।
बडे़ मकान कब बनेंगे तय नहीं

एलआइजी और एमआइजी का तो एक मकान नहीं बन पाया है। लोगों को मॉडल तक नहीं देखने को मिलता। इनकी बुकिंग नाममात्र की है। जब राशि नहीं मिलती तो नगर निगम हाथ खड़ा कर देता है। एक खामी यह भी सामने आई है कि ठेकेदाराें को निर्माण दर वर्ष 2012 की मिल रही है। जबकि आज निर्माण सामग्री के दाम कई गुना बढ़ गए हैं।
सभी जगहों पर ईडब्ल्यूएस मकानों के निर्माण की गति को तेज किया जा रहा है। काफी संख्या में मकान तैयार हो चुके हैं। प्रोजेक्ट की गति बहुत कुछ हितग्राही के आर्थिक योगदान पर निर्भर करती है। परसवाड़ा में ठेकेदार से चर्चा चल रही है। यदि कंपनी काम नहीं करती तो उसे टर्मिनेट किया जाएगा।
सुनील दुबे, सहायक यंत्री, नगर निगम

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