प्रदेश सरकार और केंद्र के जनजातीय कार्य मंत्रालय के सहयोग से भारतीय सांस्कृतिक निधि से संग्रहालय का निर्माण किया है गया है।
संवारी गई ऐतिहासिक महत्व की इमारत
यह संग्रहालय(Museum Inauguration) परिसर ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। यहीं पर राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को उनके बलिदान से चार दिन पहले कैद करके रखा गया था। इस इमारत को पारम्परिक संरक्षण विधि से उसके मूल स्वरूप में पुनर्निमित किया गया है। बलिदान का प्रतीक यह स्थल आने वाली पीढियों के लिए प्रेरणा और गर्व का स्रोत बनेगा। ये भी पढें – आपके मोबाइल का वॉलेट बताएगा खाते में इलाज के लिए कितना पैसा है बाकी
राजा व कुंवर के बलिदान के बाद उनकी रानियों के 52 वीं रेजीमेंट के विद्रोह को अगली गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। अंतिम गैलरी में थ्री डी होलोग्राम के माध्यम से राजा व कुंवर को श्रद्धांजलि दी जाती है। परिसर का जेल भवन जहां पिता-पुत्र को कैद करके रखा गया था, वहां उनकी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।
गोंड जनजाती की संस्कृति
संग्रहालय(Museum Inauguration) की प्रथम दीर्घा में गोंड जनजाती की संस्कृति को प्रदर्शित किया गया है। द्वितीय दीर्घा 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को समर्पित है। तृतीय दीर्घा को राजा शंकरशाह के दरबार हाल के रूप में प्रदर्शित किया गया है। जिसमें राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान की कहानी को फिल्म के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।राजा व कुंवर के बलिदान के बाद उनकी रानियों के 52 वीं रेजीमेंट के विद्रोह को अगली गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। अंतिम गैलरी में थ्री डी होलोग्राम के माध्यम से राजा व कुंवर को श्रद्धांजलि दी जाती है। परिसर का जेल भवन जहां पिता-पुत्र को कैद करके रखा गया था, वहां उनकी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।