बालमीक पाण्डेय @ कटनी। बारडोली की धरा न सिर्फ ऐतिहासिक धरोहरों की खान है बल्कि कई धार्मिक इतिहास को अपने में संजोए हुए है। बांस की बगियां से प्रकट हुई मां जालपा जहां शहर की प्रमुख आस्था का केंद्र हें तो वहीं विजयराघवगढ़ नगर की एक कहानी भक्तों में आस्था को और प्रगाढ़ करती है। हम आपको बताने जा रहे हैं मैहर में विराजी माता शारदा के बड़ी बहन की कहानी। ऐतिहासिक नगरी विजयराघवगढ़ में एक तरफ राजा के पुत्र की चिता जल रही थी तो वहीं दूसरी तरफ माता शारदा की यहां पर स्थापना हुई थी। यह को दंत कहानी नहीं बल्कि सत्य घटना है, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।
किले से नाराज हुए थे बरमदेव
विजयराघवगढ़ में विराजमान माता शारदा दो बहन हैं। राजा सर्यू प्रसाद ने 1947 में किले के निर्माण के पूर्व कलाकारों द्वारा दो प्रतिमाओं का निर्माण कराया गया था। बड़ी बहन को विजयराघवगढ़ नदीपार में प्राण-प्रतिष्ठा कराई गई और छोटी बहन को मैहर में स्थापित कराया गया। इस किले के निर्माण को लेकर बरमदेव नाराज हुए थे और उन्होंने राजा को श्राप दे दीया था कि इस नगर मे बंदर राज करेंगे जब तक तेरा वंश नष्ट नहीं होता इस नगर के किसी देवी-देवता की पूजा नहीं हो सकती। इस नगर के रहवासी कभी राज नहीं करेंगे।
मैहर के पंडा ने कराई थी स्थापना
नगर के बुजुर्ग बताते हैं कि इसके बाद से विजयराघवगढ़ की माता शारदा लुप्त हो गईं थी। राजा साहब की मृत्यु के बाद जब राजा साहब के पुत्र की मृत्यु हुई उसी रात विजयराघवगढ़ माता ने मैहर के पंडा को स्वप्न में कहा राजा का वंश नष्ट हो गया है। विजयराघवगढ़ पहुंचकर मेरी स्थापना करा। सुबह एक तरफ राजा साहब के पुत्र का अंतिम संस्कार किया जा रहा था उसी समय लोगों ने माता को नदीपार विजयराघवगढ़ में पत्थरों के बीच निकलते हुए देखा। मैहर के पंडा ने माता की स्थापना कराई। मां की सेवा जगदीश प्रसाद नागा मंदिर को सौंपी गई।
दर्शन के लिए लगता हैं भक्तों का तांता
राजा साहब ने मंदिर की पूजा अर्चना के लिए कई एकड़ जमीन मंदिर के नाम पर की थी। समय के साथ बदलाव हुआ और फिर मंदिर की कमान पंडित जगदीश प्रसाद त्रिपाठी को सौंपी गई। मंदिर की व्यवस्था कमेटी को सौंपी गई है। मंदिर में विराजमान मां शारदा के दर्शन के लिए कहा जाता है कि पहले बड़ी बहन विजयराघवगढ़ की मां शारदा के दर्शन उपरांत मैहर में विराजी माता शारदा के दर्शन करने से अधिक लाभ मिलता है। अब माता के दर्शन लाभ के लिए लोगों का तांता लगा रहता है।
Hindi News / Jabalpur / एक तरफ राजा के पुत्र की जल रही थी चिता, दूसरी तरफ हुई थी इस प्रतिमा की स्थापना