विष्णु वराह मन्दिर में सुरक्षा दीवार नही-
कैग ने 13 मार्च 2023 को जारी इस रिपोर्ट में कहा है कि विष्णु वराह के ऐतिहासिक मन्दिर में स्थानीय लोगों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। इस मंदिर में सुरक्षा के लिए बनाई जाने वाली दीवार भी नहीं है।
40 साल से संरक्षण के कदम नहीं-
रिपोर्ट के अनुसार जबलपुर के तीन प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व के मन्दिरों को संरक्षित करने की दिशा में वर्षों बाद भी कोई कदम नही उठाये गए हैं। गढ़ा पुरवा स्थित कलचुरिकालीन मालादेवी का मन्दिर पुरातत्व विभाग ने 16 अप्रेल 1984 को संरक्षित स्मारक घोषित किया था।इसी तरह आधारताल स्थित मुड़िया शिव मंदिर 20 फरवरी 1983 को व लम्हेटाघाट स्थित राधाकृष्ण मन्दिर 7 अगस्त 2015 को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था। पहले दो मन्दिरों को संरक्षित घोषित होने के बाद लगभग 40 वर्ष व राधाकृष्ण मन्दिर को 8 वर्ष हो चुके हैं। कैग ने रिपोर्ट में कहा कि अब तक इनके संरक्षण के लिए कोई कदम नही उठाया गया।
पचमठा मंदिर में केयरटेकर, बोर्ड नही-
आधारताल स्थित पचमठा मन्दिर की व्यवस्थाओं पर कैग ने आपत्ति जताई। कैग ने कहा कि यहां केयरटेकर नहीं है। पत्रिका संवाददाता ने यहां जाकर देखा तो यह बात सच निकली। साथ ही यह भी नजर आया कि मुख्य सड़क या इससे मन्दिर की ओर जाने वाली सड़क पर इसका कोई सूचना बोर्ड नहीं है। मन्दिर के बाहर भी एक निजी संस्था ने इसके बारे में ऐतिहासिक तथ्यों का बोर्ड लगा रखा है।
बावड़ी का रास्ता मकानों में गुम-
सिहोरा के चोपड़ा मोहल्ला स्थित ऐतिहासिक बावड़ी को भी पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर रखा है। लेकिन कैग की रिपोर्ट के अनुसार यहां जाने के लिए पहुंच मार्ग नहीं है। बावड़ी की सूचना देने के लिए न तो कोई साइनबोर्ड है ना ही यहां केयरटेकर है। सुरक्षा दीवार भी नही है। पत्रिका संवाददाता के मौके पर जाकर देखने पर कैग की बात शत प्रतिशत सच नजर आई। यहां पहुचने का मार्ग