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यह है मामला
आरजीपीवी भोपाल की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि विवि एक शासकीय संस्था है। इसका वित्त संचालन सरकार करती है। इसके बावजूद आयकर विभाग ने विवि के खिलाफ वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 48 करोड़ रुपए आयकर बकाया कह रिकवरी का नोटिस दे दिया। इसके खिलाफ विभिन्न सक्षम अधिकारियों के समक्ष अपीलें की गईं। अपीलों के लंबित रहने के दौरान ही 15 मई 2019 को आयकर विभाग ने विवि के खिलाफ आदेश जारी कर फाइनल असेसमेंट होने तक असेस्ट राशि का बीस फीसदी जमा करने को कहा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज के विभिन्न सर्कुलर्स का हवाला देकर डिफाल्ट घोषित कर दिया गया।
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सरकारी संस्था को है छूट
अधिवक्ता मुकेश अग्रवाल ने तर्क दिया कि आयकर अधिनियम के तहत विवि को शासकीय वित्त पोषित संस्था होने के नाते आयकर से छूट है। याचिकाकर्ता ने कई उच्चाधिकारियों को उक्त आदेश के खिलाफ अपीलें भी की हैं। संबंधित वित्तीय वर्ष के लिए आयकर का फाइनल असेसमेंट लंबित है। ऐसे में उच्चाधिकारियों को उनके आवेदन का निराकरण करने तक डिफाल्ट घोषित किए जाने की वजह से संभावित कठोर कार्रवाई न करने के निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने तर्क मंजूर कर लिया। आयकर विभाग के उच्चाधिकारियों को निर्देश दिए गए कि वे विवि द्वारा दिए जाने वाले आवेदन का निराकरण करें। तब तक कोई कठोर कार्रवाई न की जाए।