बता दें कि इससे पहले नकली रेडमेसिविर इंजेक्शन के कारोबार के मामले में गुजरात पुलिस की कार्रवाई के बाद ही जिला प्रशासन जागा था और ताबतोड़ छापेमारी व अन्य कार्रवाई शुरू की थी। ये भी पढ़ें- MP में कोरोना संक्रमित मरीजों की जान से खिलवाड़ का सबसे बड़ा मामला!
ये भी पढ़ें- नकली Remedisvir injection के कारोबार के आरोप में जबलपुर का दवा कारोबारी गिरफ्तार समिति की रिपोर्ट के अनुसार इस नामचीन अस्पताल (गैलेक्सी हॉस्पिटल) में उस रोज मरीजों को तड़पता छोड़ कर डॉक्टर और स्टाफ भाग गए थे। ऑक्सीजन सुपरवाइजर प्रशिक्षित नहीं था। जांच रिपोर्ट के बाद प्रभारी सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा ने जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।
सीएमएचओ डॉक्टर मिश्रा ने जारी आदेश में अस्पताल प्रबंधन से तत्काल कोविड के नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी है। वहीं अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज संबंधी अनुमति भी निरस्त कर दी गई है। वर्तमान में जो भी कोविड के मरीज भर्ती हैं, उनका उपचार करने के बाद डिस्चार्ज करने का आदेश दिया गया है।
घटना 22 अप्रैल की देर रात करीब दो बजे की है जब गैलेक्सी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन समाप्त होने के चलते पटेल नगर निवासी अनिल शर्मा (49), विजय नगर निवासी देवेंद्र कुररिया (58), गाडरवारा नरसिंहपुर निवासी गोमती राय (65), नरसिंहपुर निवासी प्रमिला तिवारी (48) और छिंदवाड़ा निवासी आनंद शर्मा (47) की मौत हो गई थी। इस मामले में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने संयुक्त कलेक्टर शाहिद खान की अगुवाई में जांच समिति गठित की थी।
कलेक्टर ने 24 घंटे में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था, लेकिन 22 अप्रैल की देर रात अस्पताल में ऑक्सीजन समाप्त हो गई थी। सांस लेने में कठिनाई के बाद पांच मरीजों ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया था। प्रशासन ने समिति गठित कर 24 घंटे में घटना की जांच करने की बात कही थी, लेकिन 16 दिन तक सभी खामोश रहे। इस बीच अस्पताल से रेडक्रास को 25 लाख रुपए दान दिला दिया गया। 17वें दिन रविवार को किरकिरी के बाद देर रात रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। अस्पताल प्रबंधन से रेडक्रास को 25 लाख रुपये दान दिलाने की रिपोर्ट भी मीडिया में आई थी। उसके बाद पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से कई सवाल उठाए थे।
जांच में इन चार बिंदुओं पर तय हुई लापरवाही -अस्पताल में कोविड-19 के स्वीकृत संख्या से अधिक मरीजों को भर्ती किया गया था
-रात में अस्पताल में कोई जिम्मेदार व्यवस्थापक नहीं था
-ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए नियुक्त ऑक्सीजन सुपरवाइजर अनट्रेंड (अप्रशिक्षित) था
-ऑक्सीजन देते वक्त जब संक्रमित तड़पने लगे तो उनकी मदद के बजाय वहां मौजूद डॉक्टर व स्टाफ भाग गए
-रात में अस्पताल में कोई जिम्मेदार व्यवस्थापक नहीं था
-ऑक्सीजन सप्लाई करने के लिए नियुक्त ऑक्सीजन सुपरवाइजर अनट्रेंड (अप्रशिक्षित) था
-ऑक्सीजन देते वक्त जब संक्रमित तड़पने लगे तो उनकी मदद के बजाय वहां मौजूद डॉक्टर व स्टाफ भाग गए
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले को लेकर एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किए। उन्होंने लिखा कि, ‘जबलपुर के गैलेक्सी अस्पताल में 5 मरीज़ों की दुखद मौत के बाद 24 घंटे में जांच कर रिपोर्ट देने की बात कही गई थी, लेकिन 16 दिन बीत जाने के बाद भी आज तक जांच पूरी नहीं हुई है, यह एक गम्भीर लापरवाही है, मृतक के परिजन न्याय मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं?’
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी ट्वीट किया, कि ‘यह जानकारी भी सामने आई है कि अस्पताल ने रेड क्रॉस सोसायटी के माध्यम से 25 लाख रुपये का दान भी दिया है। यह संस्था सीधे कलेक्टर के दायरे में आती है, ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि जिस अस्पताल के ख़िलाफ़ 5 लोगों की मौत की जांच चल रही है, उससे यह दान राशि किन परिस्थितियों में व किस कारण से ली गई? सवाल यह भी है कि जब जांच चल रही है उसी समय यह दान देना और लेना कितना पारदर्शी है कहीं यह दान के रूप में प्रशासन को दी गई रिश्वत तो नहीं?’
पूर्व कांग्रेस विधायक व मंत्री का हमला इस मामले में जबलपुर से कांग्रेस विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया ने जिला प्रशासन को आड़े हाथ लिया है। उनका कहना है कि आपदा में अवसर के वक्त पहले जांच में लेट-लतीफी, फिर आरोपी बनाए गए व्यक्ति से दान लेना, यह विधि के विपरीत है। लखन घनघोरिया ने ये बड़ा आरोप भी लगाया कि जब 25 लाख रुपए जैसी बड़ी राशि रेड क्रॉस में जमा करवाई जा सकती है तो ऐसे में प्रशासन ने अपनी जेब में कितना डाला होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
भाजपा सांसद का पलटवार पूर्व कैबिनेट मंत्री लखन घनघोरिया द्वारा लगाए गए आरोपों पर जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने पलटवार किया है। सिंह का कहना है कि कमलनाथ को आरोप लगाने के अलावा आता ही क्या है? कमलनाथ जवाब दें कि इस आपदा की घड़ी में उन्होंने कितना दान किया है और कितना काम किया है। इसके बाद वे दूसरों पर आरोप लगाएं। हालांकि गैलेक्सी हॉस्पिटल मामले की जांच को लेकर उन्होंने जिला प्रशासन को जिम्मेदार माना है। उनका यह भी कहना है कि यह लेटलतीफी की वजह जो भी हो लेकिन इसके लिए जिम्मेदार जिला प्रशासन है। उन्होंने यह साफ किया है कि दोषी कोई भी हो किसी को छोड़ा नहीं जाएगा।