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हरती जा रही ये गंभीर लापरवाही
एनजीटी द्वारा इस बात का जिक्र भी किया गया कि, कोरोना काल के दौरान कोरोना मरीजों के इस्तेमाल के बाद बचने वाले मेडिकल वेस्ट, पीपीई किट के डिस्पोजल में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा। साथ ही, प्रदेश के 25 फीसदी अस्पताल इसे लेकर लापरवाही बरत रहे हैं, जो काफी हानिकारक साबित हो सकता है। जबकि राज्य के मुख्य सचिव की ये जिम्मेदारी है कि, वो इस तरह के मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज कराएं।
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दो माह मे करना होगा आदेश का पालन
ऐसे में एनजीटी ने अपने सख्त आदेश के साथ राज्य सरकारों को दो माह की मोहलत दी है. लिहाजा आदेश का पालन न होने पर दो महीने बाद उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करेगा। बता दें कि, साल 2009 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अस्पतालों से निकलने वाले जहरीले कचरे का विनष्टीकरण ना होने पर नागरिक उपभोक्ता मंच ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए एनजीटी मामला स्थानांतरित (ट्रांसफर) कर दिया था। ऐसे में सात अगस्त को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसले को रिजर्व किया गया था, जिसके बाद एनजीटी ने नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर की याचिका पर ये आदेश जारी कर उसका पालन कराने के निर्देश दिये हैं।