जबलपुर

पैसों से खरीदी थी डॉक्टर सीट, अब कंपाउंडर भी नहीं बन पाएंगे, जानें पूरा मामला

काउंसलिंग बिना एमडीएस में प्रवेश, मेडिकल विवि ने ४३ और छात्रों का नामांकन रोका, डेंटल कॉलेजों में ११३ प्रवेश में सिर्फ १९ छात्र-छात्राएं काउंसलिंग से

जबलपुरSep 16, 2017 / 08:22 am

Lalit kostha

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जबलपुर। एक बार फिर नीट की गाज छात्रों पर गिरी है। अबकी बार फर्जी तरीके से लिए गए प्रवेश पर कार्रवाई हुई है। राज्य के डेंटल कॉलेजों में बिना नीट काउंसलिंग (एआईपीजीई) के एमडीएस में प्रवेश लेने वाले ४३ और छात्र-छात्र-छात्राओं पर शुक्रवार को आखिरकार गाज गिर ही गई। मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने गुरुवार देर शाम ४४ डॉक्टरों का नामांकन निरस्त किया था, जबकि, शुक्रवार को शेष ४३ का नामांकन रोक दिया गया है। इस कार्यवाही से राज्य के सात डेंटल कॉलेजों में हड़कम्प की स्थिति है। सात डेंटल कॉलेजों में ११४ सीट में से ११३ डेंटल डॉक्टरों ने प्रवेश लिए थे।

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दस्तावेजों की जांच में स्पष्ट हुआ कि इनमें से सिर्फ १९ छात्र-छात्राओं ने नीट काउंसलिंग से प्रवेश लिया था। एमडीएस में इस वर्ष ८७ डॉक्टरों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं मिलेगी। एनआरआई कोटे के सात डॉक्टरों की काउंसलिंग की जांच के सम्बन्ध में डेंटल काउंसलिंग ऑफ इंडिया (डीसीआई) से सलाह ली जाएगी। २०१६ में प्रवेश ऑल इंडिया पीजी एक्जामिनेशन (एआईपीजीई) से हुए थे। इसमें मैनेमेंट कोटा नहीं है, ८५ प्रतिशत सीट पर प्रवेश काउंसलिंग से होना था और १५ प्रतिशत एनआरआई कोटा है। विवि की हाई पावर कमेटी २२ को उज्जैन में बैठक कर मामले में कार्यवाही के लिए डीसीआई से सिफारिश करेगी।

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विवि और डीएमई कार्यालय की भूमिका पर संदेह
डीएमई कार्यालय भोपाल ने नीट काउंसलिंग में जिन कॉलेजों में २-३ छात्रों को आवंटन पत्र जारी किया था, वहां से १८-२० प्रवेश की सूची भेजी गई, लेकिन इसकी जांच नहीं हुई। विवि ने ३ माह पहले ४४ डॉक्टरों के नामांकन जारी कर दिया था। एक आरटीआई कार्यकर्ता ने शिकायत की तो दस्तावेजों के जांच की प्रक्रिया के दौरान नामांकन निरस्त हुए। अगर सत्यापन हुआ होता तो नामांकन में पहले ही प्रकरण सामने आता। शहर के एक डेंटल कॉलेज की काउंसलिंग में विवि ने प्रतिनिधि भेजा था, जबकि कॉलेज स्तर पर काउंसलिंग होनी ही नहीं था। पिछले दिनों यूनिवर्सिटी के रजिस्टार डॉ. एसपी पांडेय को हटाकर मूल पद पर भेजा गया, इस कार्यवाही को भी मामले से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।

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पुराना है सीट बेचने का खेल
जानकारों के अनुसार व्यापमं की तरह ही डेंटल कॉलेजों में भी भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं। व्यापमं में सॉल्वर बैठाने और फोटो बदलने का खेल चला था, जबकि बीडीएस और एमडीएस प्रवेश में बिना प्रकिया अपनाए ही प्रवेश लिए जा रहे हैं। पुराने वर्षों की जांच हो तो वर्षों से सीट बेचने का मामला भी सामने आने की संभावना है।

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बिना काउंसलिंग प्रवेश लेने वाले ८७ छात्र-छात्राओं का अब नामांकन नहीं होगा। एनआरआई कोटे पर निर्णय होना बाकी है। कम्प्यूटर ऑपरेटर ने ऑटोमेशन सिस्टम में ४४ छात्र-छात्राओं का नामांकन जारी कर दिया था। इनका सक्षम अधिकारी द्वारा सत्यापन होना था। पिछले वर्षों में हुए बीडीएस एवं एमडीएस प्रवेश की जांच के लिए पत्र लिखा जाएगा।
– डॉ. आरएस शर्मा, कुलपति, मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी

डेंटल कॉलेजों में एमडीएस प्रवेश के मामले में काउंसलिंग कमेटी की बैठक की जाएगी। पूर्व के वर्षों मंें भी हुए प्रवेश की जांच के निर्णय लिए जा सकते हैं।
– डॉ.़ उल्का श्रीवास्तव, डीएमई

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