याचिकाकर्ता मोहम्मद बिलाल की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि सतना के कोतवाली थाने में सुजल वाल्मीकि की शिकायत पर आईपीसी की धारा धारा 294, 153ए, 295ए और एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3(1) और 3(2) के तहत उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर दर्ज की गई थी। उसके मोबाइल को हैक कर 15 अगस्त 2023 को इंस्टाग्राम में हिंदू धर्म और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर आपत्तिजनक पोस्ट की गई थी। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी कि उसे राहत देते हुए एफआईआर निरस्त की जाए।
क्या बोले जस्टिस जीएस अहलूवालिया
जस्टिस जीएस अहलूवालिया की सिंगल जज बेंच ने कहा कि एफआईआर से यह स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि उसके इंस्टाग्राम अकाउंट पर आपत्तिजनक पोस्ट क्यों अपलोड की गई है। ये बताने की बजाय कि वह पोस्ट उसका अकाउंट हैक करते किसी और ने अपलोड की है। उसने शिकायतकर्ता को गाली देना और अपमानित करना शुरू कर दिया और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई।
आदेश में कहा गया है कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि संबंधित एफआईआर में संज्ञेय अपराध का खुलासा किया गया है। जिसमें हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं बनता है।
सतना निवासी मोहम्मद बिलाल ने साल 2023 में अपने इंस्टग्राम अकाउंट से हिंदू धर्म और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। जिसमें शहर के लोगों में भारी आक्रोश फैल गया था। इसी मामले पर सुजल वाल्मीकि ने बिलाल के खिलाफ कोतवाली थाने में धार्मिक भावनाओं को भड़काने, अशांति उत्पन्न करने,सहित कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया था।
साल 2023 में किया था विवादित पोस्ट
सतना निवासी मोहम्मद बिलाल ने साल 2023 में अपने इंस्टग्राम अकाउंट से हिंदू धर्म और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। जिसमें शहर के लोगों में भारी आक्रोश फैल गया था। इसी मामले पर सुजल वाल्मीकि ने बिलाल के खिलाफ कोतवाली थाने में धार्मिक भावनाओं को भड़काने, अशांति उत्पन्न करने,सहित कई अन्य धाराओं में मामला दर्ज कराया था।