भोपाल निवासी डॉ. ओजस यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पीजी पाठ्यक्रमों की चुनिंदा ब्रांचों में 15% से अधिक सीटें एनआरआइ कोटे से भरे जाने का मुद्दा उठाया था। बुधवार को सुनवाई में दौरान अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने तर्क दिया कि नियम में यह भी प्रावधान है कि समस्त निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआइ कोटे से संबंधित 15% सीटें समस्त पाठ्यक्रमों में आरक्षित होंगी। लेकिन डायरेक्टरेट मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) के चार्ट से स्पष्ट होता है कि कोटे की सीटों को सभी 22 ब्रांचों की जगह चुनिंदा 8 ब्रांचों में लागू किया गया है।
इसके चलते कई पाठ्यक्रमों की 30-40% सीटें एनआरआइ कोटे में चली गईं। वहीं आरोप लगाया कि डीएमई ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की खाली सीटों की संख्या का प्रकाशन कर दावे-आपत्तियों के बिना सीधे काउंसलिंग प्रारंभ कर दी।