अधपका चावल पनियल दाल
शासकीय व अनुदान प्राप्त पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन योजना संचालित है। लेकिन, ज्यादातर स्कू लों में अधपका चावल, जली रोटी-पनियल दाल और सब्जी परोसी जा रही है। शहरी सीमा के स्कूलों में ८० हजार बच्चों को ठेकेदार के माध्यम से माध्यान्ह भोजन वितरित किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वसहायता समूहों के जरिए ६० हजार बच्चों को मध्यान्ह भोजन वितरित किया जा रहा है। किशोरी बालिका, गर्भवती व धात्री माताओं को (टीएचआर) टेक होम राशन के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों से पोषण का वितरण किया जा रहा है।
३.६८ लाख परिवारों को सस्ता राशन
कम कीमत पर राशन मुहैया कराने के लिए उचित मूल्य की दुकानों से खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था लागू है। बीपीएल से लेकर अंत्योदय तक २४ श्रेणी के तहत ३ लाख ६६ हजार परिवारों के १६ लाख ६८ हजार लोगों को १ रुपए किलो गेहूं-चावल उपलब्ध कराया जा रहा है। परिवार के प्रति सदस्य को ५-५ किलो राशन दिया जा रहा है।
कुपोषण दूर करने प्रयास जारी है, लेकिन श्रमिक श्रेणी के परिवारों के साथ कई व्यवहारिक समस्याएं हैं। इन परिवारों के बड़े सदस्य मजदूरी के लिए निकल जाते हैं, बच्चे अकेले घरों में रहते हैं। एेसे में कई बच्चे नियमित रूप से आंगनबाड़ी नहीं पहुंच पाते हैं।
– मनीष शर्मा, डीपीओ, महिला एवं बाल विकास विभाग
शिशु को पोषण आहार पर्याप्त मात्रा के साथ ही समय पर मिलना आवश्यक होता है। गुणवत्तापूर्ण आहार नहीं मिल पाना ही कुपोषण का बड़ा कारण होता है। जबकि कई बच्चे जन्म से ही कुपोषित होते हैं। इसका बड़ा कारण गर्भावस्था के दौरान मां को आवश्यक आहार न मिलना या उसका अस्वस्थ होना भी होता है।
– डॉ. मंजू अग्रवाल, शिशु रोग विशेषज्ञ