बसें नहीं चलने से आमजन कर रहे जोखिम भरा सफर, हो चुका है हादसा
लोगों की जान के लिए खतरा बन रही ऑपरेटर्स की मनमानी
केस- 01
स्थान- कटंगी बाइपास
मामला- सागर निवासी प्रेमलाल सिंह को सपरिवार घर लौटना था। वह पहले आईएसबीटी पहुंचा। बसें न होने के कारण पूरा परिवार कटंगी बाइपास तक पैदल गया। यहां कई घंटे रुकने के बाद एक ट्रक रुका, जिसमें प्रेमलाल समेत उसकी पत्नी और तीन बच्चे सवार होकर सागर रवाना हुए।
केस- 02
स्थान- एम्पायर टॉकिज
मामला- मंडला में रहने वाले मजदूर शहर में मजदूरी करने आते हैं। बसें बंद होने के कारण लगभग एक दर्जन मजदूर मिनी ट्रक के डाले में सवार होकर एम्पायर टॉकिज तक आए। इस मिनी ट्रक में सामान भी लोड था। इसके चलते कई मजदूरों को लटककर आना पड़ा।
विकल्प नहीं, इसलिए मनमानी
सडक़ परिवहन के लिए प्रदेश सरकार के पास विकल्प नहीं है। यही कारण है कि निजी बस ऑपरेटर्स मनमानी करते हैं। आए दिन हड़ताल पर जाना और बेवजह की मांगों को लेकर बसों का संचालन बंद कर दिया जाता है।
तो खत्म हो सकती है परेशानी
प्रदेश में पहले मध्य प्रदेश सडक़ परिवहन निगम द्वारा बसों का संचालन किया जाता था। उस दौरान किसी कारण से प्रायवेट बसें बंद होने की दशा में भी परेशानी अधिक नहीं होती थी।
सूत्र सेवा विकल्प, फिर भी ध्यान नहीं
पूरे प्रदेश में सूत्र सेवा की बसें हैं। यह सरकार के अधीन हैं। प्रत्येक जिले में पर्याप्त संख्या में सूत्र सेवा की बसें हैं। यदि सरकार चाहे, तो इनका संचालन शुरू कर लोगों को राहत दिला सकती है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।