…और नाम बदलने की दिलचस्प बात
जबलपुर के तीन बार सांसद रहे राकेश सिंह के संबंध में एक बात बहुत कम लोग ही जानते हैं। दरअसल राकेश सिंह उनका मूल नाम नहीं है बल्कि ये परिवर्तित नाम है। प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह की मार्कशीट में उनका वास्तविक नाम है। उनका मूल नाम घनश्याम सिंह है और नाम बदलने की असल कहानी कम लोग ही जानते हैं। सियासत में राकेश सिंह के नाम से राजनीति करने की बेहद दिलचस्प कहानी है। करीबी बताते हैं कि ज्योतिष की सलाह पर उन्होंने नाम बदला, जिसका उन्हें लाभ मिलता भी दिखाई दे रहा है।
गौरव की बात राजनैतिक विश£ेषकों के अनुसार चुनावी साल में इतनी अहम जिम्मेदारी मिलना निश्चित रूप से उनके लिए गौरव की बात है और यही कारण है कि उनके समर्थकों से लेकर मित्रों, ेंपरिचितों, परिजनों में अपार खुशी है। बेटे को पार्टी की प्रदेश की बागडोर मिलने से राकेशसिंह की मां तो बेहद प्रसन्न हैं। सांसद राकेश सिंह की ८२ वर्षीय मां गौमती देवी की दिली इच्छा थी कि उनका बेटा किसी बड़े पद पर पहुंचे। राकेश सिंह तीन बार सांसद बने इसके बाद भी मां की बड़े पद की ख्वाहिश बरकरार रही और आखिरकार उनकी मनोकामना पूरी हो ही गई। सांसद राकेशसिंह की प्रदेशाध्यक्ष पद पर ताजपोशी पर उन्होंने कहा कि मेरा आशीर्वाद बेटे के साथ है। यह सफलता उसकी लगनशीलता, अथक परिश्रम और समर्पित भाव से काम करते रहने का प्रतिफल है।