most powerful cannon : सुरक्षा दीवार तैयार, एलपीआर में ही हो सकेगा धनुष-शारंग तोप का परीक्षण
दोनों तोप लार्ज कैलीबर की: 40 किलोमीटर तक गोला दागने वाली 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप का उत्पादन गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में होता है। जबकि 38 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली शारंग तोप का उत्पादन जीसीएफ के अलावा वीकल फैक्ट्री जबलपुर (वीएफजे) और ऑर्डनेंस फैक्ट्री जबलपुर (ओएफजे) में हो रहा है। दोनों तोप लार्ज कैलीबर की हैं। इनका उत्पादन होने पर इंटरनल फायरिंग करना आवश्यक होता है। इसके बाद ही इन्हें सेना के सुपुर्द किया जाता है।most powerful cannon : रेंज में अलग स्थान बनाया
एलपीआर में पहले लार्ज कैलीबर की तोप की फायरिंग की सुविधा नहीं थी। दो साल पहले इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई। हालांकि बट पुराने थे। जब उसमें 155 एमएम का गोला दागा जाता था तो बट नष्ट हो जाती थी। इसलिए रक्षा मंत्रालय की टीम ने इसके लिए अलग फायरिंग रेंज बनाने की योजना बनाई थी। अब मुख्य फायरिंग स्थल से दो किलोमीटर दूर तोप को ले जाकर फायर किया जाता है। गोला भी बट की जगह एक पहाड़ पर गिरता है। यहां फायर करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए दीवार का भी निर्माण किया गया है। निर्माण कार्य के चलते फायरिंग रोकी गई थी। most powerful cannon : एलपीआर में निर्माण कार्य के कारण धनुष और शारंग तोप की फायरिंग पर रोक लगाई गई थी। अब इसे फिर शुरू कर रहे हैं। चूंकि तोप तैयार थी, उनकी फायरिंग का शेड्यूल भी तय था। इसलिए इटारसी रेंज में परीक्षण किया जा रहा था।