हाइकोर्ट ने जनहित याचिका पर राज्य सरकार से पूछा
भोपाल के मास्टर प्लान में क्यों बढ़ा दिया गया प्लानिंग एरिया
यह है मामला – भोपाल सिटिजन फोरम व पूर्व डीजीपी अरुण गुर्टू ने यह जनहित याचिका दायर की। वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अधिवक्ता रोहित जैन ने तर्क दिया कि टीएनसीपी संचालक ने 10 जुलाई 2020 को भोपाल का नया मास्टर प्लान 2031 अधिसूचित किया। जबकि इसको लेकर बड़ी संख्या में आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं। प्लान में बहुत गड़बडिय़ां हैं। पूरे ग्रीन बेल्ट को कमर्शियल किया जा रहा है। वन क्षेत्र जहां बाघों का कुनबा है, उसे आवासीय घोषित किया गया। प्लान में प्लानिंग एरिया पहले के 600 वर्ग किमी की अपेक्षा बढ़ाकर करीब 1016 वर्ग किमी कर दिया गया। इसमे भी 850 वर्ग किमी को विकास कार्यो के लिए प्रस्तावित किया गया, जो आबादी के लिहाज से बहुत अधिक है।
यह प्लानिंग 2031 में शहर की आबादी 36 लाख हो जाने का आकलन करते हुए की गई। जबकि 2031 तक शहर की आबादी महज 26 लाख ही होने का अनुमान है। इसके अलावा 70 प्रतिशत ग्रीन क्षेत्र कम कर दिया गया। वन्य जीवन, पर्यावरण और जलस्रोतों का भी ख्याल नहीं रखा गया। बड़ी झील के कैचमेंट एरिया में बाघों का मूवमेंट होने के बावजूद यहां निर्माण की अनुमति दे दी गई। प्रति हेक्टेयर 42 लोगों के हिसाब से प्लानिंग होनी थी, लेकिन 100 व्यक्ति के हिसाब से की गई। यह प्लान शहर के पर्यावरण, वन्य जीवन, जलस्रोतों, ग्रीन बेल्ट के लिए घातक है। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने आपत्ति दर्ज कराई। लेकिन इसे दरकिनार कर दिया गया। आग्रह किया गया कि भोपाल मास्टर प्लान 2031 को निरस्त करने व विभिन्न जनहित से जुड़े पहलुओं का ध्यान रखते हुए इसे फिर से बनाने के निर्देश दिए जाएं। कोर्ट ने याचिका मे बनाए गए अनावेदकों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।