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जबलपुर

ministry of defence departments : सेना के लिए वाहन बनाने वाली वीकल फैक्ट्री में बनेंगे कमर्शियल वाहन, निजी कंपनी करेगी उत्पादन!

वीकल फैक्ट्री जबलपुर को निजी कंपनियों को किराए पर देने की तैयारी

जबलपुरDec 14, 2017 / 10:49 am

deepankar roy

indian army: unknown person worked in vfj

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जबलपुर। सेना के लिए वाहन बनाने वाली वीकल फैक्ट्री में जल्द ही निजी कंपनियों के कर्मिशयल वाहनों का उत्पादन होगा। रक्षा मंत्रालय ने जबलपुर वीकल फैक्ट्री को किराए पर देने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए तीन निजी कंपनियों ने रुचि भी दिखाई है। उन्होंने प्रेजेंटेशन देकर वीकल फैक्ट्री में उत्पादन का फॉमूर्ला भी प्रस्तुत किया है। यदि इन प्रेजेंटेशन को मंजूरी मिलती है तो जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र के इस बड़े उद्यम का नियंत्रण निजी कंपनियों के हाथों में होगा। वीकल फैक्ट्री में सेना के जरुरतों के वाहन के उत्पादन के साथ ही उन वाहनों का भी निर्माण किया जाएगा जिनकी बाजार में मांग है।

इन दो प्लांट पर कंपनियों की नजर
वीएफजे को किराए गुपचुप तरीके से किराए पर देने की कवायद के बीच रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई और गोको मॉडल नीतियों का असर नजर आने लगा है। सूत्रों के अनुसार नॉन कोर के दायरे में आई व्हीकल फैक्टरी के आधे हिस्से को किराए पर सौंपा जा सकता है। इन्हें निजी कंपनियों को सौंपे जाने की तैयारी चल रही है। निजी कंपनियों की नजर वीएफजे के प्लांट-1 और 3 पर है। हालांकि इस मामले में वीएफजे के अधिकारी फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे है।

इस फॉर्मूले की चर्चा है
वीकल फैक्ट्री के प्लांट को किराए पर देने की अटकलों के बीच वहां कामकाज के एक फॉर्मूलों की चर्चा भी खूब हो रही है। बताया जा रहा है कि निजी कंपनी के प्रवेश के बाद मैन पॉवर और मशीनरी वीकल फैक्ट्री की ही उपयोग की जाएगी। लेकिन फैक्ट्री के प्रबंधन पर पूरा नियंत्रण निजी कंपनी के पास होगा। हालांकि जानकार इसे शुरुआती प्रक्रिया मान रहे है। लेकिन किराए का फॉर्मूला कारगार रहने पर भविष्य में वीएफजे के अन्य सेक्शन में भी लागू किया जा सकता है।

तीन कंपनियां आगे आयी
व्हीकल फैक्टरी के कुछ पलांट को किराए पर लेने के लिए अभी तक तीन निजी कंपनियों के सामने आने की चर्चा है। सूत्रों का दावा है कि वाहन निर्माण करने वाली एक कंपनी की ओर से सबसे पहले इस तरह का ऑफर वीएफजे को दिया गया। इसके बाद दो अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों ने वीएफजे के समक्ष अपना प्रजेन्टेशन दिया है।

रिलायंस और ट्रैक्टर निर्माता
फैक्ट्री में गुुरुवार को लोकल परचेज कमेटी की मीटिंग आयोजित की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इसमें रिलायंस के अलावा कुछ ट्रैक्टर और अन्य वाहनों की निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं। इससे फैक्ट्री में निजी कंपनियों के दखल बढऩे की अटकलों को जोर मिला है।

प्रबंधन ने कहा किराए की कोई योजना नहीं
वीएफजे के एजीएम (प्रशासन) वीबी पचनंदा के अनुसार प्लांटों को पूरी तरह किसी निजी कंपनी को सौंपने की हाल फिलहाल में योजना नहीं है। इतना जरूर है कि कुछ कंपनियों के साथ मिलकर किसी वाहन और उसके कलपुर्जे निर्माण के मामले में सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

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