जबलपुर

Patrika Positive : ईदी में मिली आत्मनिर्भरता, लॉकडाउन ने दिया अवसर, बाजार खुले होते तो नहीं चमकती इनकी किस्मत

लॉकडाउन ने चमकाई जबलपुर की आफरीन की किस्मत।

जबलपुरMay 13, 2021 / 06:54 pm

Faiz

Patrika Positive : ईदी में मिली आत्मनिर्भरता, लॉकडाउन ने दिया अवसर, बाजार खुले होते तो नहीं चमकती इनकी किस्मत

जबलपुर/ कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के चलते प्रदेश भर में लगे लॉकडाउन से जहां एक तरफ लोग संक्रमण की जद में आने और जान गवाने से तो बच रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन मध्यमवर्गीय और उससे भी ज्यादा गरीब वर्ग के लिये बड़ी मुसीबत का सबब बनता है। अब जैसे ईद का त्यौहार है और सारे बाजार बंद हैं। ऐसे में शहर के व्यापारी वर्ग को करीब 50 फीसदी का नुकसान सिर्फ इस सीजन में काम न करने की वजह से ही होगा।

 

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सीधे शब्दों में लॉकडाउन ‘संकट का समय’

वैसे तो ईद का त्योहार सभी के लिये उत्साह और खुशियां लेकर आता है, लेकिन कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच लगे लॉकडाउन के बावजूद शहर समेत प्रदेश और देशभर से सिर्फ नकारात्मक खबरें ही सामने आ रही हैं। वैसे तो, लॉकडाउन को सीधे शब्दों में ‘संकट का समय’ कहा जाना सबसे सही अर्थ होगा। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिये ये लॉकडाउन किसी अवसर से कम नही है। जिसका लाभ उन्हें शायद लॉकडाउन के बिना मिल पाना इतना आसान नहीं होता।

 

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ईदी में मिली आत्मनिर्भरता

ईद के मौके पर बड़े छोटों को प्रेम स्वरूप ईदी देते हैं। ये ईद उनके लिये खास अवसर का समय बनी है, जिसे पाकर उनकी खुशियों का ठिकाना नहीं है। जैसा कि, हम सभी जानते हैं कि, लॉकडाउन में बाजार बंद होने से शहर के उन ड्रेस डिजाइनर्स को मौका मिल रहा है, जो अभी फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में अभी पढ़ ही रहे हैं। ये लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे है और इन्हें ईद के लिए परिधान तैयार करने का मौका मिल रहा है। इस तरह से इनके लिए ईदी के रूप में आत्मनिर्भरता मिली है। जिससे इन्हें आगे और भी अच्छा काम करने का मौका मिलेगा।


बाजार बंद हैं, तभी मिल सका फायदा

जबलपुर शहर के आनंग नगर मक्का नगर में रहने वाली 23 वर्षीय आफरीन के मुताबिक, वो फैशन डिजाइनिंग की छात्रा हैं। अपने हुनर को लोगों के बीच कैसे पहुंचाए, अभी इसे लेकर दिमाग में असमंजस बना ही था कि, इतनी पूंजी कहा से लाएं और बाजरा में कोई दुकान लेने पर कितना खर्च होगा, तो अचानक ही लॉकडाउन लग गया, मनों अरमानों पर पानी फिर गया हो, सोचा अब एक बार फिर लंबे इंतजार के बाद कुछ करने का मौका मिलेगा, लेकिन रमजानों के बीच इस बार ईद आने से पहले पहले वो लोगों के करीब 15 ऑर्डर पूरे कर चुकी हैं।

 

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…तो शायद वो इस तरह घर बैठे नहीं दिखा पातीं अपना हुनर

आफरीन का कहना है कि, अगर इन दिनों बाजार खुले होते, तो शायद उन्हें ये ऑर्डर घर बैठे नही मिल पाते। लोगों ने अपने मन मुताबिक डिजाइन बताई और उनकी जरूरतों को समझते हुए खूबसूरत आउटफिट्स बनाकर दिए हैं। आफरीन ने बताया कि, इस सब में अब तक सबसे बड़ी चीज उनके लिये ये है कि, जितने भी लोगों के उन्होंने ड्रेस डिजाइन किये हैं, उन सभी को मेरा काम पसंद आया। उन्हें सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि, लॉकडाउन के दौरान उन्हें अपना काम और हुनर दिखाने का मौका बेहतर ढंग से मिल सका।

 

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लॉकडाउन ने प्रदान किया अवसर

निश्चित तौर पर लॉकडाउन को उनके लिये बेहतर अवसर कहा जा सकता है। लॉकडाउन में पड़ी ईद ने आफरीन को ईदी के रूप में आत्मनिर्भर बनने का मौका दिया है। लोगों को उनके तैयार किये आउटफिट्स काफी पसंद आ रहे हैं। इससे उनके काम करने के रास्ते भी खुले हैं। इस दौरान इन्होंने गरारा, सलवार सूट के साथ ही लांचे भी डिजाइन किए है। इसमें बच्चे, बड़े सभी के आउटफिट्स शामिल हैं।

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