जबलपुर। जिला उपभोक्ता फोरम ने मप्र गृह निर्माण मंडल (हाउसिंग बोर्ड) द्वारा जमीन के सौदे में टैक्स जोडऩे को अनुचित करार दिया। फोरम ने कहा कि इस तरह टैक्स के ऊपर टैक्स लगा कर उपभोक्ता पर रजिस्ट्री के लिए अतिरिक्त स्टाम्प डयूटी का बोझ नही थोपा जा सकता। कोर्ट ने आदेश दिए कि हाउसिंग बोर्ड उपभोक्ता पर लगाई गई अतिरिक्त स्टाम्प ड्यूटी के 15 हजार रुपए व सात हजार रुपए बतौर हर्जाना उसे दो माह के अंदर प्रदान करे।
यह है मामला
आईटीआई जबलपुर के पास रहने वालीं नीलम चौबे की ओर से यह परिवाद दायर कर कहा कि उन्होंने हाउसिंग बोर्ड से एचआईजी फ्लैट का सौदा किया। 18 दिसम्बर 2017 को विक्रय पत्र निष्पादित किया गया। अधिवक्ता अरुण जैन, विक्रम जैन ने तर्क दिया कि भवन की कीमत 15 लाख 71 हजार रुपए थी, लेकिन हाउसिंग बोर्ड ने सर्विस व अन्य टैक्स जोड़कर रजिस्ट्री के योग्य कीमत 16 लाख 92 हजार रुपए ठहराई। इसके आधार पर परिवादी को करीब एक लाख 21 हजार रुपए की अतिरिक्त राशि पर करीब 15 हजार रुपए अधिक स्टाम्प ड्यूटी चुकानी पड़ी। इसकी शिकायत बोर्ड से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई। इस पर फोरम की शरण लेनी पड़ी।
सेवा में कमी का दोषी ठहराया
अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने परिवादी की ओर से दिए गए तर्कों को सही पाकर हाउसिंग बोर्ड को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत सेवा में कमी का दोषी ठहराया।
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