जबलपुर

जस्टिस संजय यादव होंगे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, इन फैसलों से जीता जनता का दिल

The Chief Justice Of Allahabad : मध्यप्रदेश के संजय यादव के फैसले के बाद ही गर्भवती महिलाओं को ट्रेनों में मिली लोअर बर्थ की सुविधा…।

जबलपुरMay 21, 2021 / 09:14 am

Manish Gite

जबलपुर के संजय यादव कई अहम फैसलों के लिए जाने जाते हैं, इन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।

जबलपुर। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice Of Allahabad) पद के लिए अनुशंसित किए गए जस्टिस संजय यादव जबलपुर के निवासी हैं। सीनियर जज संजय यादव (sanjay yadav) ने न्यायदान प्रक्रिया को नई ऊंचाइयां प्रदान की। जस्टिस यादव के फैसलों, आदेशों में जनहित के प्रति उनका रुझान साफ झलकता है। राजनीतिक दलों की ओर से किए जाने वाले जबरिया बन्द के खिलाफ आदेश में उनकी दृढ़ता परिलक्षित हुई तो गर्भवती महिलाओं को ट्रेन में लोवर बर्थ आवंटित करने का आदेश देकर उन्होंने जनता का दिल जीत लिया।

 

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जस्टिस यादव ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनाव के खिलाफ याचिका खारिज कर अपने विधि ज्ञान की गहनता का परिचय दिया तो सनातन धर्म के पथ प्रदर्शक ग्रन्थ श्रीमदभगवत गीता की मीमांसा कर आध्यात्म की झलक भी जाहिर की। जस्टिस यादव का नाम इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए अनुशंसित किए जाने से शहर के विधिक जगत में गर्व महसूस किया जा रहा है।

 

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जबरिया बन्द, स्ट्राइक पर लगा सकते हैं रोक

14 जनवरी 2012 को जस्टिस संजय यादव की सदस्यता वाली युगलपीठ ने अपने एक अहम आदेश के जरिए साफ कर दिया कि राज्य सरकार विभिन्न राजनीतिक दलों या अन्य संगठनों द्वारा भविष्य में जबरिया बंद, स्ट्राइक, हड़ताल का आह्वान किए जाने की सूरत में रोक लगाने स्वतंत्र है। कोर्ट ने बंद को मूलभूत अधिकार मानने से इंकार कर दिया। यह भी स्पष्ट किया गया कि बंद बगैरह के दौरान शासकीय या निजी संपत्ति की क्षति होती है तो आह्वान करने वालों से नियमानुसार मुआवजा वसूली की कार्रवाई की जा सकती है। नागरिक उपभोक्ता मागदर्शक मंच की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त अहम आदेश पारित किया गया।

 

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सरकारी आवास में पीएम की फोटो वाली टाइल्स लगाने पर रोक

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तस्वीरें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे घरों की टाइलों से हटाने का आदेश दिया। अदालत ने यह निर्णय मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के संजय पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह इस संबंध में अपनी अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करें।

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गर्भवती महिलाओं को दो लोवर बर्थ

30 जुलाई 2020 को जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरन की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय रेलवे बर्थ के आरक्षण की प्रक्रिया में वरीयता के क्रम पर विचार करे। कोर्ट ने कहा कि रेलवे सीट रिजर्वेशन में सबसे पहले गर्भवती महिलाओं, फिर सीनियर सिटीजन और उसके बाद फिर वीवीआईपी को प्राथमिकता दें। लोअर बर्थ के आरक्षण के मुद्दे पर हाई कोर्ट ने कहा, गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देने के लिए सिर्फ इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि स्वास्थ्य कारणों के कारण उनके लिए मिडिल बर्थ या अपर बर्थ उचित नहीं होगी। जस्टिस राजीव कुमार श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र भेजकर ट्रेनों में यात्रियों के लिए कई खामियां गिनाई थीं। इसकी सुनवाई याचिका के रूप में की गई। अधिवक्ता आदित्य संघी ने भी इस सम्बंध में अर्जी दायर की थी।

 

गीता से न्यायिक नियंत्रण का संदेश

28 जनवरी 2012 को जस्टिस संजय यादव ने अपने अहम फैसले में कहा कि श्रीमद्भगवत गीता धर्म विशेष का ग्रंथ नहीं वरन जीवन दर्शन है, जिससे नागरिकता का प्रशिक्षण मिलता है। जस्टिस यादव की खंडपीठ ने कहा कि गीता से न्यायिक नियंत्रण व सामाजिक सौहाद्र्र का नैतिक संदेश भी हासिल होता है। प्रदेश कैथोलिक विशप परिषद ने राज्य सरकार द्वारा सभी सरकारी स्कूलों में गीता सार को शामिल किए जाने के फैसले को एक जनहित याचिका में चुनौती दी थी। इसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

 

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डिप्टी एडवोकेट जनरल भी रहे यादव

जस्टिस संजय यादव ने 25 अगस्त 1986 को वकील के रूप में जबलपुर में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। मध्य प्रदेश के उप-महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया। जस्टिस संजय यादव को 2 मार्च, 2007 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। 15 जनवरी, 2010 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। उन्हें 06 अक्टूबर, 2019 से 02 नवंबर, 2019 तक और 30 सितंबर, 2020 से 02 जनवरी, 2021 तक मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। सिविल, संवैधानिक व राजस्व मामलों के अधिवक्ता के रूप में वह प्रसिद्ध हैं। वह मध्य प्रदेश के डिप्टी एडवोकेट जनरल भी रह चुके हैं।

 

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