जबलपुर

160 साल पुरानी रामलीला में आधा शहर बनता है लंका, मायावी रावण के अट्टाहस से सहम जाते हैं दर्शक

Jabalpur Ramleela in Navratri 2024: विरासत को संजोने वाली पत्रिका की सीरीज में आज पढ़िए जबलपुर की 160 साल पुरानी रामलीला की इंट्रेस्टिंग कहानी, गोविंदगंज की इस रामलीला में बचपन से सीता, तो पिछले 14 साल से रावण बन रहे पवन पांडे का हर संवाद दिला देता है त्रेतायुग की याद…

जबलपुरOct 08, 2024 / 01:31 pm

Sanjana Kumar

जबलपुर के गोविंदगंज की रामलीला देख याद आ जाता है त्रेता युग.

Jabalpur Ramleela in Navratri 2024: बचपन में वर्षों तक देवी सीता बनने वाले पवन पांडे 14 वर्षों से रावण का किरदार निभा रहे हैं। गोविंदगंज रामलीला में उनका हर संवाद, अट्टहास करती हंसी, त्रेतायुग के दशानन का अहसास कराती है। जानने वाले चुटकियां लेते हैं कलयुग का रावण सचमुच मायावी है एक ही जन्म में सीता से लेकर दशानन का जीवन जी लिया। वे कहते हैं गोविंदगंज रामलीला केवल मंच पर खेले जाने वाला एक नाटक नहीं है बल्कि यह एक अनुष्ठान है।

रावण का अट्टहास, मेघनाद की गर्जना

रामलीला में रावण बने पवन पांडे का अट्टहास, त्रेतायुग के दशानन का अहसास कराती है। वे 14 वर्ष से रावण का किरदार निभा रहे हैं। मेघनाद की गर्जना का दृश्य देखते ही बनता है। अनूप तिवारी 28 साल से ये किरदार निभा रहे हैं। वे अपने ड्रेसअप से लेकर डायलॉग का पूरा ख्याल रखते हैं।
मनीष पाठक 23 साल से अक्षय कुमार का किरदार निभा रहे हैं। उनकी डायलॉग डिलेवरी त्रेतायुग के अक्षय कुमार के अहंकार का अहसास कराती है। मनीष अपना किरदार तो सजीवता से निभाते ही हैं वे नए पात्रों का मार्गदर्शन करने से लेकर रामलीला की पूरी तैयारी अहम भूमिका निभाते हैं।

रामलीला से पहले संकल्प लेते हैं…..

रामलीला शुरू होने के पहले कलाकार पूजा के साथ संकल्प लेते हैं और जब तक रामलीला पूरी नहीं हो जाती तब तक इसे निभाना होता है। संस्कारधानी की सबसे पुरानी 160 साल पुरानी गोविंदगंज रामलीला में और भी कई ऐसे पात्र हैं जो दो दशक से एक ही किरदार में इतने रच-बस गए हैं कि उनकी पहचान ही अब दशरथ, मेघनाद या अक्षय कुमार के नाम से होने लगी है।
रामलीला में जब भगवान राम जनकपुरी के लिए बारात लेकर जाते हैं तो गोविंदगंज रामलीला की बारात छोटे फुहारा क्षेत्र से निकलती है। इस दौरान गोविंदगंज अयोध्या बन जाता है और निवाड़गंज जनकपुरी नजर आता है। बता दें कि गोविंदगंज की इस रामलीला में आधा शहर लंका बनता है, तो आधा शहर अयोध्या के रूप में सजाया जाता है।

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