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जबलपुर का सरकारी कॉलेज: जो शरारतों में अव्वल लेकिन दीं नामी हस्तियां

जबलपुर का सरकारी कॉलेज: जो शरारतों में अव्वल लेकिन दीं नामी हस्तियां
 

जबलपुरJul 12, 2022 / 10:55 am

Lalit kostha

jabalpur engineering college

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जबलपुर। अस्सी के दशक का पूर्वार्ध यह मेरे कॉलेज जीवन का कालखंड। अत्यंत सुनहरा, चमकता – दमकता। वो भी इसलिए, की मैं जबलपुर के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा था। जबलपुर का, या यूं कहे की पूरे महाकौशल क्षेत्र का सबसे बड़ा कॉलेज। 7 जुलाई 1947 को, अर्थात स्वतंत्र होने के मात्र सवा महीना पहले, यह कॉलेज प्रारंभ हुआ अर्थात कॉलेज प्रारंभ हो कर 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। उन दिनों निजी अभियांत्रिकी महाविद्यालय होते ही नहीं थे। मेरे प्रवेश लेने से कुछ ही वर्ष पूर्व रीवा का अभियांत्रिकी महाविद्यालय प्रारंभ हुआ था। वह महाकौशल का दूसरा अभियांत्रिकी महाविद्यालय था। पूरे प्रदेश में गिने चुने अभियांत्रिकी महाविद्यालय थे।

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जबलपुर, रीवा, रायपुर, बिलासपुर, इंदौर, ग्वालियर और उज्जैन, बस इतने ही। इन सब में जबलपुर अलग था। पुराना तो था, लेकिन फेकल्टी के मामले में और शरारतों के मामले में अव्वल माना जाता था। शरद यादव को उस कॉलेज से निकले पांच – सात साल ही हुए थे। वह आपातकाल के बाद का समय था। आपातकाल में हमारे कॉलेज से कई बड़े नेता निकले। राजीव क्षीरसागर (वर्तमान में संघ प्रचारक) जैसे विद्यार्थियों ने कॉलेज छोड़ कर सत्याग्रह में भाग लिया था और सवा वर्ष से ज्यादा समय जेल में बिताया था।

 

jabalpur engineering college celebrates 75th anniversary, 75th anniversary celebration Jec Jabalpur

सरसंघ चालक संदर्शन जी इसी कॉलज के छात्र रहे
ऐसे उथल-पुथल भरे माहौल में मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया था। उन दिनों पांच वर्ष का इंजीनियरिंग होता था। पहले दो वर्ष सभी विषय पढऩे पड़ते थे। सेकंड ईयर के बाद विषय चुनना होता था। हमारे समय ज्यादातर छात्र सिविल चुनते थे। उसके बाद मैकेनिकल। मेरा तो प्रवेश के समय से ही तय था, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकॉम में जाना। देश में 1946 में दूरसंचार का विभाग सर्वप्रथम बेंगलुरु में खुला। अगले ही वर्ष जबलपुर और पुणे में दूरसंचार प्रारंभ हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक सुदर्शन इसी पहले बैच के दूरसंचार के छात्र थे। उन दिनों दूरसंचार की ही डिग्री मिलती थी। इलेक्ट्रॉनिक्स यह शब्द, इस डिग्री में, साठ के दशक के अंत में जुड़ा।


देश को दिए सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर
कॉलेज में बहुत ज्यादा गतिविधियां उन दिनों होती नहीं थी लेकिन कॉलेज का माहौल बड़ा वाइब्रेंट रहता था। दस बजे कॉलेज गेट पर कोई चढ़ गया, तो समझो हड़ताल पक्की। हड़ताल के लिए कोई विशेष कारण भी नहीं होते थे। कॉलेज में स्विमिंग पूल होना चाहिए, जैसी मांगों के लिए भी स्ट्राइक होती थी। कॉलेज गेट बंद दिखा कि चेहरे पर खुशियां छा जाती और कौन से टॉकीज में बारह का शो मिल सकता हैं, उसकी पड़ताल होती थी। इस कॉलेज ने अनेक हस्तियां इस देश को दी। केवल मध्यप्रदेश नहीं, तो सारे देश में उच्च गुणवत्ता के अभियंता दिए। कॉलेज के वे पांच वर्ष, जीवन के सबसे सबसे मधुर, सबसे सुहाने और सबसे हैप्पिनिंग वर्ष थे।

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