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Jabalpur Election Result जबलपुर कैंट पर भाजपा के अशोक रोहाणी ने फिर किया कब्जा

जबलपुर कैंट में भाजपा के अशोक रोहाणी का मुकाबला कांग्रेस के अभिषेक चौकसे ‘चिंटू’ के साथ हुआ था। इस घमासान में एक बार फिर भाजपा के अशोक रोहाणी ने चुनाव जीत लिया।

जबलपुरDec 06, 2023 / 09:32 am

Manish Gite

जबलपुर कैंट से भाजपा के अशोक रोहाणी ने चुनाव जीत लिया।

जबलपुर कैंट विधानसभा में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही था। यहां से भाजपा के अशोक रोहाणी चुनाव लड़ रहे थे। अशोक रोहाणी 2013 से अब तक विधायक हैं। इस सीट से पिछले 30 सालों से एक ही परिवार का कब्जा है। जबलपुर जिले की कैंट विधानसभा सीट से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी के बेटे अशोक रोहाणी ने चुनाव जीत लिया। भाजपा उम्मीदवार अशोक रोहाणी को 76 हजार 966 वोट मिले। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक चिंटू चौकसे को 46 हजार 921 वोट मिले। 17 नवंबर शुक्रवार को जबलपुर कैंट विधानसभा सीट पर 68.19 फीसदी मतदान हुआ था।

जबलपुर कैंट पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी परिवार का यानी भाजपा का गढ़ है। यहां से वे 1993 से 2013 तक लगातार चार बार विधायक रहे। उनके निधन के बाद बेटे अशोक रोहाणी पिछले दो बार से विधायक हैं। कांग्रेस ने इस बार रोहाणी के ही शिष्य माने जाने वाले चिंटू चौकसे को मैदान में उतारा था।

 

पिछले चुनावों पर एक नजर

2018 की बात करें तो जबलपुर कैंट के 188016 वोटर्स ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और भाजपा उम्मीदवार अशोक रोहाणी को 71898 वोट मिले और वे विधायक बन गए। कांग्रेस प्रत्याशी रहे पंडित आलोक मिश्रा को 45313 वोट मिले। हार-जीत का अंतर 26585 था।

उससे थोड़ा पीछे चलते हैं। साल 2013 में जबलपुर कैंट यानी छावनी क्षेत्र में अशोक रोहाणी ने जीत हासिल की थी। उन्हें 83676 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार सर्वेश्वर ‘चमन’ श्रीवास्तव को 29935 वोट मिले। हार-जीत का आंतर 53741 था।

इसी प्रकार 2008 में भाजपा के उम्मीदवार थे ईश्वरदास रोहाणी। उन्हें 57200 वोट मिले थे और कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा 32469 वोट मिले थे। हार-जीत का अंतर 24731 था।

 

अशोक रोहाणी

53 साल के अशोक रोहाणी जबलपुर नगर निगम में पार्षद भी रह चुके हैं। 12वीं तक पढ़ाई करने वाले अशोक रोहाणी सामाजिक कार्यों में जुड़े हुए हैं।

 

अभिषेक चौकसे

चिंटू नाम से चर्चित अभिषेक चौकसे वर्तमान विधायक अशोक रोहाणी के पिता ईश्वर दास रोहाणी के शिष्य माने जाते हैं। चिंटू चौकसे का नाम 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान विवाद से जुड़ा रहा। जिसके बाद तालमेल बिगड़ने पर चिंटू चौकसे ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। चिंटू चौकसे कैंट बोर्ड के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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