जबलपुर

भारत-वियतनाम युद्धाभ्यास पहली बार मप्र में, दुनिया की नजरों में आया ये शहर- देखें वीडियो

विश्व शांति में सहयोग का ‘पाठ’ सीखेगा वियतनाम, जीआरसी में भारत की सेना के साथ ‘युद्धाभ्यास’ आज से शुरू

जबलपुरJan 29, 2018 / 11:11 am

Lalit kostha

indian army war practice with vietnam army officer in MP india

जबलपुर. वियतनाम के सैन्य अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के अनुरूप प्रशिक्षण के लिए द्विपक्षीय शीर्ष पटल युद्ध अभ्यास (टेबल टॉप एक्सरसाइज) का आयोजन सोमवार से ग्रेनेडियर्स रेजीमेंटल सेंटर (जीआरसी) में शुरू हो गया है। इसमें दोनों देशों के सैन्य अधिकारी सैनिक प्रशिक्षण, अभ्यास, युद्धक रणनीति और प्रक्रियाओं को समझकर एक दूसरे अपने अनुभव बांटेंगे। इस युद्ध अभ्यास के जरिए वियतनाम भारत की संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में योगदान और नीति से विश्व शांति में सहयोग का पाठ सीखेगा।


हेड क्वार्टर मध्य भारत एरिया के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल संजीव कनाल ने इस युद्धाभ्यास की जानकारी देते हुए कहा यह बहुत ही गर्व की बात है। हम पड़ोसी देशों की मित्रता को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। वियतनाम के सीनियर कर्नल लू डेन हेन ने इसे सामरिक दृष्टि से दोनों देशों के रिश्तों को मजबूती प्रदान करने वाला बताया है। वियतनाम के सीनियर कर्नल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत का बड़ा अनुभव है। हम उनके अनुभव को सीखेंगे । यह पहली बार है कि जब हम भारत के साथ इस तरह का युद्ध अभ्यास कर रहे हैं। यह हमारे सेना के जवानों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि और मौका है। हमें यहां पर बहुत सारे अनुभव मिलेंगे। इस एक्सरसाइज में दोनों देशों की सेनाएं मिलकर एक दूसरे के अनुभव को साझा करेंगे। द ग्रेनेडियर्स रेजीमेंटल सेंटर में 3 फरवरी तक चलने वाले इस युद्ध अभ्यास में दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे की नीतियों से अवगत होंगे

इस युद्धाभ्यास को भारत और दक्षिण पूर्वी एशियाई देश वियतनाम के बीच सितम्बर २०१६ में हुए १२ समझौते के तहत देखा जा रहा है। इसमें व्यापार, निवेश, संस्कृति और शिक्षा के साथ रक्षा एवं सुरक्षा का समझौता भी शामिल है। इस कदम को चीन के प्रभाव को कम करने की दृष्टि से भी देखा जा रहा है। क्योंकि, चीन और वियतनाम में कई चीजों को लेकर विवाद हैं।

विश्व पटल पर आया शहर
यह युद्ध अभ्यास मैदानी लड़ाई जैसा नहीं होगा, लेकिन किस तरह दोनों देश संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में रणनीति रख सकते हैं, उन विषयों पर विचार-विमर्श होगा। दोनों देशों के सैन्य अधिकारी एक मॉडल तैयार करेंगे। उसी के तहत छह दिन तक अभ्यास चलेगा। संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में भारतीय सेना की अलग पहचान है। वियतनामी सैन्य अधिकारी इसे जानेंगे। वियतनाम की पीपल्स सेना के पास भी युद्ध की रणनीति से जुड़ी नई तकनीक हैं। विशेषकर गोरिल्ला युद्ध। इस आयोजन से बड़े सैनिक क्षेत्र में रूप में विख्यात जबलपुर का नाम विश्व पटल पर आ गया है। पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान इस युद्धाभ्यास पर विशेष तौर पर ध्यान दे रहे हैं।

चीन की घेराबंदी?
जानकार इस युद्ध अभ्यास को चीन की घेराबदंी से भी जोड़कर देख रहे हैं। यह एक तरह की सामरिक साझेदारी है। भविष्य में दोनों देशों के सैनिक हथियारों के साथ अभ्यास कर
सकते हैं।


गौरव का क्षण-
इंडियन आर्मी का संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में अन्य देशों की सेनाओं की अपेक्षा विशेष योगदान रहा है। शांति सेना की युद्ध नीति आम युद्ध की रणनीति से अलग होती है। इसका फायदा वियतनामी अधिकारी उठा सकते हैं। यह आयोजन शहर के लिए गौरव का क्षण है।
– कर्नल (रिटा.) पीके वैद्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत ही गणतंत्र दिवस समारोह में १० आसियान देशों के प्रमुखों को अतिथि बनाया गया। यह बहुत बड़ी पहल है। द्विपक्षीय शीर्ष पटल युद्ध अभ्यास उस नीति का हिस्सा है। यह प्रयास चीन के बढ़ते कदम को भी रोक सकता है।
– कर्नल (रिटा.) राकेश दुबे, वीर चक्र

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