how to celebrate dussehra festival at home घर पर ऐसे मनाएं दशहरा, होंगे हर कदम पर कामयाब
उनके पीछे-पीछे गोविंद गंज रामलीला समिति की ओर से प्रस्तुत की जाने वाली विविध झांकियां होती हैं। जिनमें देश और सामाजिक मुद्दों केस के साथ ही धार्मिक और व्यक्ति विशेष से जुड़ी हुई झांकियां होती हैं। तत्पश्चात श्री रामचंद्र भगवान भ्राता लक्ष्मण के साथ रजत रथ पर विराजमान होते हैं। जहां राम रावण का युद्ध चलित होता है फिर इन के बाद दुर्गा प्रतिमाओं का नंबर आता है। जिनमें नगर सेठानी सुनरहाई , नुनहाई वाली माता सबसे आगे चलती हैं। इनके पीछे नगर जेठानी के नाम से प्रसिद्ध है बुंदेलखंडी प्रतिमा चलती है। दशहरा चल समारोह में मुख्य आकर्षण इन तीन प्रतिमाओं के साथ व्रत महाकाली गड़ा फाटक होती है। जिसके दर्शन पूजन को समूचा जनसैलाब उम्र पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इनके दर्शन किए बिना दशहरा अधूरा होता है।
उनके पीछे-पीछे गोविंद गंज रामलीला समिति की ओर से प्रस्तुत की जाने वाली विविध झांकियां होती हैं। जिनमें देश और सामाजिक मुद्दों केस के साथ ही धार्मिक और व्यक्ति विशेष से जुड़ी हुई झांकियां होती हैं। तत्पश्चात श्री रामचंद्र भगवान भ्राता लक्ष्मण के साथ रजत रथ पर विराजमान होते हैं। जहां राम रावण का युद्ध चलित होता है फिर इन के बाद दुर्गा प्रतिमाओं का नंबर आता है। जिनमें नगर सेठानी सुनरहाई , नुनहाई वाली माता सबसे आगे चलती हैं। इनके पीछे नगर जेठानी के नाम से प्रसिद्ध है बुंदेलखंडी प्रतिमा चलती है। दशहरा चल समारोह में मुख्य आकर्षण इन तीन प्रतिमाओं के साथ व्रत महाकाली गड़ा फाटक होती है। जिसके दर्शन पूजन को समूचा जनसैलाब उम्र पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि इनके दर्शन किए बिना दशहरा अधूरा होता है।
2017 navratri colors september देशभर में सबसे प्रसिद्ध है इस शहर का दशहरा, ये है इसकी खूबी- देखें वीडियो गढ़ा गोंडवाना का दशहरा चल समारोह मुख्य चल समारोह के बाद दूसरे दिन एकादशी तिथि को गढ़ा गोंडवाना उप नगरी क्षेत्र में दशहरा चल समारोह निकाला जाता है। जो अपनी भव्यता और अपनी संस्कृति की ओर साथ में लेकर चलता है। इसमें बंगाली संस्कृति पर आधारित दुर्गा प्रतिमाओं के साथ में महाकाली शेरावाली मां के विविध रूप शामिल होते हैं। इसके अलावा गोंड संस्कृति पर आधारित भी कुछ झांकियां इन में निकाली जाती हैं। इस दशहरा चल समारोह का नेतृत्व गढ़ा रामलीला द्वारा किया जाता है । जिसमें जीवन में झांकियों सहित राम रावण के पुतले आधी निकलते जाते हैं । यह दशहरा समारोह कछपुरा ओवर ब्रिज से शुरू होकर गडा की विभिन्न गलियों में भ्रमण करते हुए त्रिपुरी चौक पर संपन्न होता है।
अधारताल का अद्भुत दशहरा
उप नगरीय क्षेत्र आधारताल में भी दूसरे दिन एकादशी को दशहरा चल समारोह निकाला जाता है । जिसमें अमखेरा अधारताल कंचनपुर रांझी सुहागी आदि क्षेत्रों की दर्जनों प्रतिमाएं शामिल होती हैं। इन प्रतिमाओं की भव्यता देखते ही बनती हैं। इस समूह का भी इस समारोह का भी रामलीला आधारताल द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसकी खासियत है कि यह दशहरा चल समारोह जिस मार्ग से गुजरता है। उसका आधा हिस्सा मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से होकर गुजरता है जहां सद्भाव की मिसाल देखने मिलती है।
उप नगरीय क्षेत्र आधारताल में भी दूसरे दिन एकादशी को दशहरा चल समारोह निकाला जाता है । जिसमें अमखेरा अधारताल कंचनपुर रांझी सुहागी आदि क्षेत्रों की दर्जनों प्रतिमाएं शामिल होती हैं। इन प्रतिमाओं की भव्यता देखते ही बनती हैं। इस समूह का भी इस समारोह का भी रामलीला आधारताल द्वारा नेतृत्व किया जाता है। इसकी खासियत है कि यह दशहरा चल समारोह जिस मार्ग से गुजरता है। उसका आधा हिस्सा मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से होकर गुजरता है जहां सद्भाव की मिसाल देखने मिलती है।
बंग समाज का बंगाली दशहरा
दशहरा के दिन जन्मदिन बंगाली सिटी क्लब करमचंद चौक से बंगाली दशहरा निकाला जाता है। दोपहर करीब 12:00 बजे यहां वन्य समाज की समस्त हैं। प्रतिमाएं स्थापित जहां जहां भी होती हैं वह एकत्रित होती हैं फिर कतारबद्ध होकर धुनुची धाक और उल्लूक धुन के साथ में नृत्य करते हुए भक्तगण माता जगतजननी को लेकर ग्वारीघाट विसर्जन कुंड की ओर प्रस्थान करते हैं । इसमें समूचा बंग समाज जितना भी संस्कारधानी में मौजूद रहता है वह शामिल होकर माता को विदाई देता है। इसमें भी करीब एक दर्जन प्रतिमाएं शामिल होती हैं।
दशहरा के दिन जन्मदिन बंगाली सिटी क्लब करमचंद चौक से बंगाली दशहरा निकाला जाता है। दोपहर करीब 12:00 बजे यहां वन्य समाज की समस्त हैं। प्रतिमाएं स्थापित जहां जहां भी होती हैं वह एकत्रित होती हैं फिर कतारबद्ध होकर धुनुची धाक और उल्लूक धुन के साथ में नृत्य करते हुए भक्तगण माता जगतजननी को लेकर ग्वारीघाट विसर्जन कुंड की ओर प्रस्थान करते हैं । इसमें समूचा बंग समाज जितना भी संस्कारधानी में मौजूद रहता है वह शामिल होकर माता को विदाई देता है। इसमें भी करीब एक दर्जन प्रतिमाएं शामिल होती हैं।
इनके अलावा गोकलपुर कॉमा गोरखपुर सदर रांझे रांझे खमरिया शाहपुरा भेड़ाघाट आदि क्षेत्रों में भी अलग-अलग दशहरा चल समारोह निकाले जाते हैं