बोफोर्स का होता है मेंटेनेंस
एमआई टीम यहां खमरिया स्थित ५०६ आर्मी बेस वर्कशॉप पहुंची थी और लेफ्टिनेंट कर्नल के ऑफिस में दबिश दी थी। यहां दस्तावेज खंगाले गए। इसके बाद लेफ्टिनेंट कर्नल को टीम दि ग्रेनेडियर्स रेजीमेंटल सेंटर (जीआरसी) लेकर पहुंची, जहां बुधवार को तफ्सील से जानकारी ली गई। इस वर्कशॉप में बोफोर्स तोप, एके-४७ राइफल जैसे अन्य अहम सैन्य हथियारों के मेंटेनेंस का काम किया जाता है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि आरोपी अफसर ने सेना से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां सोशल मीडिया पर भी लीक की। हालांकि, अब तक सैन्य अफसर से पूछताछ और उससे मिली जानकारी की कोई पुष्टि नहीं की गई।
दिल्ली से खुफिया नजर:
सैन्य अफसरों की सोशल मीडिया संबंधी गतिविधियों पर सेना की आईटी सेल निगरानी रखती है। अफसरों के आपत्तिजनक पोस्ट पर सवाल-जवाब किए जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक फाइव नॉट सिक्स के सेक्शन इंचार्ज लेफ्टिनेंट कर्नल के मामले में भी ऐसा ही होना पाया गया है। सूत्रों की मानें तो इस अधिकारी के बैंक खाते में एक करोड़ से ज्यादा की राशि की जानकारी होने के बाद ही एमआई की टीम सक्रिय हुई। बताया जा रहा है कि लैब में इस बात की जांच पड़ताल की जाएगी कि संदेही आफिसर की मेल आईडी से कितने मेल सेंड और रिसीव किए गए। मोबाइल की कॉल डिटेल और लोकेशन निकालने के साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि कर्नल ने अपनी संदेहास्पद गतिविधियां कहां से चलाई?
जांच पूरी होने के बाद ही खुलासा
मध्य भारत क्षेत्र हेडक्वार्टर के जनसंपर्क अधिकारी कर्नल बीपी सिंह के मुताबिक लेफ्टिनेंट कर्नल से पूछताछ चल रही है। टीम ने क्या जानकारी हासिल की, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। जांच पूरी होने पर गुरुवार तक कोई जानकारी दी जा सकेगी।