जबलपुर

होली की राख से तिलक, 35 वर्ष से जारी है ये अनोखी परम्परा

होली की राख से तिलक, 35 वर्ष से जारी है ये अनोखी परम्परा
 

जबलपुरMar 05, 2023 / 02:55 pm

Lalit kostha

Holika Dahan: होलिका दहन मुहूर्त क्या होगा, जानें यहां….

जबलपुर. उत्सवधर्मी संस्कारधानी के पर्वों में सामाजिक और सामयिक सोच भी नजर आती है। शहर में एक मंदिर ऐसा है जहां 35 वर्ष से सामयिक सोच के साथ होलिका दहन कर पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया जा रहा है।

छोटी खेरमाई मंदिर मानस भवन : पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने को 35 वर्ष से जारी है परम्परा
सूखे पत्तों और गाय के कंडों से कर रहे होलिका दहन
मंदिर से जुड़े लोग घरों से लाते हैं कंडे

इस मंदिर में होली पर होलिका की मूर्ति व लकड़ियों की जगह पेड़ के सूखे पत्तों और गाय के गोबर से बने कंडों का दहन किया जाता है। मानस भवन के समीप स्थित छोटी खेरमाई व राधा-कृष्ण मंदिर में यह अनूठा होलिका दहन होता है। इस बार भी मंदिर से जुड़े लोग होलिका दहन के लिए पेड़ों के सूखे पत्ते व गाय के गोबर के कंडे एकत्र करने में जुटे हैं। छोटी खेरमाई मंदिर के मनोज मन्नू पंडा ने बताया कि 35 वर्ष पूर्व होली पर जोरदार गर्मी पड़ी थी।

 

होली के पूर्व चले आंधी तूफान से मंदिर परिसर में लगे पेड़ों के पत्ते बड़ी तादाद में झड़कर एकत्र हो गए थे। पर्यावरण प्रेमी पुजारी ने इसे लकड़ी बचाने और पत्तों का कचरा हटाने का अच्छा अवसर माना। उन्होंने इन पत्तों को एकत्र कर मंदिर में पली गायों के गोबर से बने कुछ कंडो के साथ मिलाकर होलिका दहन कर दिया। तब से यह परम्परा जारी है।

पुजारी राघवेंद्र द्विवेदी ने बताया कि होलिका दहन के लिए मंदिर से जुड़े भक्तों को कंडे जुटाने का जिम्मा दिया जाता है। सभी अपने घरों में पाली गई गायों के गोबर के कंडे होलिका के लिए लाते हैं। होली के पहले से यह क्रम आरम्भ हो जाता है। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर के कंडे ही यहां होलिका दहन में इस्तेमाल होते हैं। श्रद्धालु कविता दुबे ने बताया कि मंदिर परिसर में अशोक, आम, पीपल, बरगद व अन्य पेड़ लगे हैं। होली के महीनों पहले इनके पत्ते एकत्र करना आरम्भ कर दिया जाता है। आरती गौतम ने बताया कि इस वर्ष भी होलिका दहन के लिए मंदिर प्रांगण में अरंडी की डाल का खम्ब गड़ाकर तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वे छोटी खेरमाई मंदिर के होलिका दहन को आज के परिवेश में आदर्श मानती हैं।

राख का करते हैं तिलक

पुजारी नाथूराम शर्मा बताते हैं कि होलिका दहन के बाद सभी भक्त मंदिर परिसर में एक दूसरे को होलिका की राख का तिलक लगाते हैं। गुलाल लगाकर शुभकामनाएं देते हैं। शर्मा का कहना है कि इसमें समाज को जंगल, पर्यावरण बचाने और गंदगी दूर भगाने का संदेश भी छिपा है। सभी निष्ठा से सहभागिता करते हैं।

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