script110 किलो के इस योद्धा का 81 किलो वजनी भाला, विशेषज्ञ भी हुए अचंभित | Historical Battle of Haldighati was fought on june 18 | Patrika News
जबलपुर

110 किलो के इस योद्धा का 81 किलो वजनी भाला, विशेषज्ञ भी हुए अचंभित

ये युद्ध सिर्फ 5 घंटे चला था, लेकिन तब तक धरती ने अपना रंग बदल लिया था और वह…

जबलपुरJun 18, 2016 / 01:43 pm

Abha Sen

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जबलपुर। 18 जून 1576 की दोपहर हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच ऐसा भीषण युद्ध हुआ, जो पूरी दुनिया के लिए आज भी एक मिसाल है। महाराणा प्रताप ने शक्तिशाली मुगल बादशाह अकबर की 85000 सैनिकों वाली विशाल सेना के सामने अपने 20000 सैनिक और सीमित साधनों के बल पर स्वतंत्रता के लिए वर्षों संघर्ष किया। 30 वर्षों के लगातार प्रयास के बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को बंदी न बना सका। बताते हैं कि ये युद्ध सिर्फ 5 घंटे चला था, लेकिन हल्दीघाटी की धरती ने अपना रंग बदल लिया था और वह रक्त से लाल हो चुकी थी। प्रताप को जीत हासिल ना हो सकी, लेकिन मुगल सेना के 500 सरदार मारे जा चुके थे।

हल्दीघाटी का युद्ध याद अकबर को जब आ जाता था,
कहते है अकबर महलों में, सोते-सोते जग जाता था!

छाती का कवच 72 किलो का
महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनकी छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी। यह बात आश्चर्यचकित जरूर करती है कि इतना वजन लेकर प्रताप रणभूमि में लड़ते थे।



अकबर भी रोया
प्रताप की वीरता ऐसी थी कि उनके दुश्मन भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। माना जाता है कि इस योद्धा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं। उदारता ऐसी कि दूसरों की पकड़ी गई बेगमों को सम्मानपूर्वक उनके पास वापस भेज दिया जाता था। इस योद्धा ने साधन सीमित होने पर भी दुश्मन के सामने सिर नहीं झुकाया और जंगल के कंद-मूल खाकर लड़ते रहे।


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राणा और स्वामिभक्त वीर चेतक
जहां भी महाराणा प्रताप का नाम आता है वहां चेतक का होना तय है। चेतक की वीरता के उदाहरण भी अब तक दिए जाते हैं। चेतक की ताकत का पता इस बात से लगाया जा सकता था कि उसके मुंह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी। जब मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे लगे थी, तब चेतक प्रताप को अपनी पीठ पर लिए 26 फीट के उस नाले को लांघ गया, जिसे मुगल पार न कर सकी थी। एक पल के लिए नाला देखकर प्रताप ने भी सोचा कि वह कैसे पार होगा, लेकिन चेतक ने पलक झपकते ही प्रताप को दुश्मनों की पकड़ से दूर एक ही छलांग में कर दिया। लेकिन इसके बाद घायल हो चुके चेतक ने राणा साहेब की गोद में अंतिम सांस ली। 

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