हाईकोर्ट का अहम आदेश
मुस्लिम कानून के तहत मान्य नहीं अंतर-धार्मिक विवाह जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा, मुस्लिम लड़के व हिंदू लड़की की शादी को मुस्लिम पर्सनल लॉ में अनियमित (फासीद) विवाह माना जाएगा, भले यह विशेष विवाह अधिनियम के तहत किया हो। कोर्ट ने कहा, मुस्लिम लॉ में मुस्लिम लड़के का मूर्तिपूजक या अग्नि-पूजक से विवाह वैध नहीं है। भले ही विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत हो, विवाह अब वैध विवाह नहीं होगा और यह एक अनियमित (फासीद) विवाह होगा।
मुस्लिम कानून के तहत मान्य नहीं अंतर-धार्मिक विवाह जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने कहा, मुस्लिम लड़के व हिंदू लड़की की शादी को मुस्लिम पर्सनल लॉ में अनियमित (फासीद) विवाह माना जाएगा, भले यह विशेष विवाह अधिनियम के तहत किया हो। कोर्ट ने कहा, मुस्लिम लॉ में मुस्लिम लड़के का मूर्तिपूजक या अग्नि-पूजक से विवाह वैध नहीं है। भले ही विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकृत हो, विवाह अब वैध विवाह नहीं होगा और यह एक अनियमित (फासीद) विवाह होगा।
परिवार का विरोध याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दोनों के बीच रिश्ते का लड़की के परिवार ने विरोध किया था। आशंका थी कि अंतर-धार्मिक विवाह पर समाज में बहिष्कार होगा। परिवार ने दावा किया कि लड़की ने मुस्लिम साथी से शादी करने के लिए घर से आभूषण भी ले लिए।
तर्क काम नहीं आए वकील ने कहा, अंतर-धार्मिक विवाह व्यक्तिगत कानून के तहत निषिद्ध है, विशेष विवाह अधिनियम के तहत मान्य है। विशेष विवाह अधिनियम पर्सनल लॉ पर हावी हो जाएगा। कोर्ट ने कहा, विशेष विवाह अधिनियम में किसी विवाह को धार्मिक अनुष्ठानों का पालन न करने को चुनौती नहीं दी जा सकती, पर व्यक्तिगत कानून के तहत प्रतिबंधित है तो ऐसी शादी कानूनी शादी नहीं होगी।