जबलपुर

हाईकोर्ट ने अभियोजन स्वीकृति की जानकारी नहीं देने पर मुख्य सूचना आयुक्त पर लगाई 2 हजार रुपए कॉस्ट

– हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती

जबलपुरJun 28, 2022 / 12:08 pm

दीपेश तिवारी

patrika

जबलपुर। हाईकोर्ट ने आरटीआइ के तहत शासकीय कर्मी को उसके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की जानकारी न देने पर मुख्य सूचना आयुक्त पर दो हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। जस्टिस शील नागू व जस्टिस अरुण कुमार शर्मा की बेंच ने मुख्य चुनाव आयुक्त को 60 दिन के भीतर कॉस्ट की राशि आवेदक को अदा करने के निर्देश दिए।

कोर्ट ने कहा, ऐसा नहीं होने पर याचिका पुन: स्थापित हो जाएगी। मप्र राज्य जीएसटी के जबलपुर में कार्यरत कर्मचारी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि उस पर भ्रष्टाचार का आरोप है। वर्तमान में याचिकाकर्ता निलंबन अवधि में नरिसंहपुर में पदस्थ है।

विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त भोपाल ने 2018 में याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। इस पर याचिकाकर्ता ने आरटीआइ के तहत अभियोजन स्वीकृति की प्रतिलिपि मांगी थी, लेकिन कहा गया कि प्रकरण कोर्ट में लंबित है, इसलिए कॉपी नहीं दी जा सकती। वहीं सरकार की ओर से बताया गया कि 20 जून 2020 को उक्त प्रकरण में चार्जशीट पेश हो चुकी है। इसके बाद भी सूचना आयोग ने 28 जुलाई को जानकारी देने से इनकार कर दिया। इस पर कोर्ट ने सख्ती दिखाई है।

हर्जाना भरना होगा
कोर्ट ने कहा कि आवेदक को आवेदन, फस्र्ट अपील और सेकंड अपील पर भी जानकारी नहीं मिली। मजबूर होकर उसे कोर्ट का दरवाजा खटखटना पड़ा। लोक सूचना अधिकारियों ने इस बात की जांच भी नहीं की कि प्रकरण में जांच पूरी हो गई है और कोर्ट में चालान पेश हो चुका है। प्रथम व द्वितीय अपीलीय अधिकारी ने भी इस तथ्य को जांचे बिना अपीलें खारिज कर दीं, इसलिए उच्चतम अधिकारी को इसका हर्जाना भुगतना होगा।

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