उभर जाता है शरीर का हिस्सा
बच्चों में हर्निया होने पर रोने या पेट पर ज़ोर देने के दौरान ऊसन्धि (पेट और जांघ के बीच का भाग) या अंडकोश की थैली में सूजन या उभार नजर आने लगता है। ज्यादातर मामलों में बच्चों को नहलाते समय या आराम करने के दौरान उभार कम हो जाता है। जब बच्चा मां के गर्भ में होता है, तो अंडकोश का विकास किडनी के पास पेट में होता है। बच्चे के विकास के साथ यह खिसककर पेट के निचले हिस्से में चला जाता है। इससे पेट या ऊसन्धि में छेद बनने लगता है और अंडकोश की थैली बनकर उसमें अंडकोश झूलने लगते हैं। आंत बाहर निकलने पर हर्निया की समस्या हो जाती है।
इन लक्षणों की न करें अनदेखी- पेट के किसी भाग में गुब्बारेनुमा सूजन, खड़े रहने, खांसने, चलने, भारी सामान उठाने, यूरिन या शौच के दौरान जोर लगाने पर बढ़ जाती है। सूजन वाले स्थान पर लगातार हल्का दर्द भी रहता है। लेटने या हाथ से दबाने पर पानी की गुड़-गुड़ जैसी आवाज के साथ सूजन अंदर चली जाती है या छोटी हो जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार बहुत तेज दर्द, उल्टी होने, पेट फूलना या दस्त नहीं होना इस बात का संकेत होता है कि हर्निया फंस गया है। ऐसे मरीजों को डॉक्टर से जांच कराना चाहिए।
ये भी कारण
●टीबी, अस्थमा से लगातार होने वाली खांसी
●कब्जियत या मोटापा
●प्रोस्टेट की गठान या मूत्र मार्ग में रुकावट
●पेट की गम्भीर बीमारियां
●प्रोटीन की कमी, कुपोषण
●अत्यधिक धूम्रपान करना
●भारी वजन उठाना
●मांसपेशियों की कमजोरी
●वृद्धावस्था, पैरालिसिस
यह है स्थिति
● 1-4 प्रतिशत बच्चों में होती है सर्जिकल की समस्या
● 80-90 प्रतिशत मामले लड़कों के आते हैं सामने
लगातार कब्ज रहने और गैस की समस्या होने पर भी पेट की दीवार पर असर पड़ता है। इससे युवाओं में भी हर्निया होने का खतरा रहता है। इससे बचाव के लिए सलाद, रेशेदार भोजन खाने में शामिल करें।
– डॉ पंकज असाटी, गेस्ट्रोलॉजिस्ट
हर्निया की समस्या ज्यादातर जन्म से ही बच्चों में सामने आती है, मसल्स की कमजोरी के कारण युवाओं में भी ये बीमारी हो जाती है।
– डॉ एसके पांडे, सर्जन, जिला अस्पताल