भंवरताल स्थित रानी दुर्गावती संग्रहालय में महाकोशल, बुंदेलखंड, विंध्य एवं छत्तीसगढ़ की गौरवशाली ऐतिहासिक धार्मिक, पुरातात्विक धरोहर का बेशकीमती खजाना है। जिनमें पाषाण मूर्तियों से लेकर शिलालेख, ताम्रपत्र, सोने चांदी व अन्य धातुओं के सिक्के व अन्य वस्तुओं का अनूठा संग्रह है। इसमें सनातन धर्म से लेकर जैन, बौद्ध व अन्य संप्रदायों का भी पुरातात्विक संग्रह है। जानकारी के अनुसार इस संग्रहालय में तीन हजार पांच सौ पुरावशेष हैं। जिन्हें 9 कलादीर्घाओं में प्रदर्शित किया गया है।
भेड़ाघाट में ताले में कैद संग्रहालय भेड़ाघाट में भी कुछ साल पहले एक संग्रहालय तैयार किया गया था, जो आज तक खुल नहीं सका। शिक्षक सदन के सामने एक पार्क में इसे बीस साल पहले साडा ने बनाया था, जिसमें लगभग चालीस मूर्तियों का संगह है। इसमें रखी मूर्तियों को आसपास के गांवों से एकत्र किया गया है।
वर्ष 1976 में किया था लोकार्पण नगर निगम ने वर्ष 1964 में वीरांगना रानी दुर्गावती की याद में यहां एक विशेष समारोह का आयोजन किया था। इसमें उनकी स्मृति में यहां भव्य संग्रहालय बनाने का संकल्प पारित किया गया था। 24 जून 1964 को तत्कालीन मुयमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र ने इसके लिए शिलान्यास किया था। इसे बनाने व इसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ से एकत्रित व प्राप्त किए गए पुरातत्व खजाने का संग्रह कर इसे आम जन के लिए खोलने में दस साल से भी ज्यादा का समय लगा। 12 दिसंबर 1976 को तत्कालीन मुयमंत्री श्यामाचरण शुक्ल ने इसका लोकार्पण किया था।
नहीं मिल सकी एक चार की गार्ड जानकारी के अनुसार संग्रहालय की सुरक्षा के लिए यहां के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पवार से एक चार की गार्ड की मांग की गई थी। जिस पर यहां से पुलिस मुयालय पत्र भेजा गया था, वहां से बजट भी स्वीक़ृत किया गया। बाद में पीएचक्यू ने यह कह कर गार्ड देने से मना कर दिया कि अभी पुलिस बल की भर्ती नहीं हुई है।
संग्रहालय में राय हीराबहादुर का योगदान इस संग्रहालय को पुरावशेष उपलब्ध कराने में ब्रिटिशकालीन डिप्टी कमिश्नर राय बहादुर डॉक्टर हीरालाल के परिवार का योगदान है। उनके कटनी स्थित रायबाड़ा से बड़ी संया में पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं को प्राप्त कर यहां प्रदर्शित किया गया। हीरा वाटिका पटना द्वार का भी निर्माण किया गया।
इनका कहना है संग्रहालय की सुरक्षा के लिए एक गार्ड व एक कर्मचारी तैनात है। अन्य कई संग्रहालयों में भी अभी तक एक चार की गार्ड की सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। केएल डाबी, संग्रहालय प्रभारी